प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर चीन के साथ डोकलाम विवाद और फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर दिए उनके बयान को लेकर तीखा प्रहार किया। पीएम ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष को अब गंभीर हो जाना चाहिए। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर 'बचकाना' व्यवहार बंद कर देना चाहिए।
 
पीएम मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष पर उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत पर की गई टिप्पणी और उड़ी हमले के बाद सितंबर 2016 में सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के पार जाकर की गई सर्जिकल स्ट्राइक को 'जुमला स्ट्राइक' कहे जाने पर भी निशाना साधा। 

डोकलाम के मुद्दे पर पीएम ने कहा, कांग्रेस के अध्यक्ष इस मुद्दे को संसद में उठा रहे हैं, लेकिन जब सारा देश डोकलाम संकट का सामना कर रहा था, तब राहुल गांधी चीन के राजदूत के साथ हुई अपनी मुलाकात को नकारने में लगे थे। 

पीएम ने कहा, 'हमें घटनाओं को सिलसिले को याद रखने की जरूरत है। जब पूरी सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में जुटी थी, कुछ लोग चीन के राजदूत से मिले थे। ये वो लोग हैं, जो आज डोकलाम की बात कर रहे थे। बाद में इस मुलाकात को नकारने में भी लगे रहे। कोई कहता मिले थे, कोई कहता था नहीं मिले। इतना सस्पेंस क्यों था? कांग्रेस प्रवक्ता ने पहले तो साफ मना किया कि उनके नेता चीनी राजदूत से नहीं मिले लेकिन फिर एक प्रेस विज्ञप्ति आ गई। फिर कांग्रेस को यह स्वीकार करने पर मजबूर होना पड़ा कि मुलाकात हुई थी। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जाएगी। क्या हम हर जगह बचकाना व्यवहार करते रहेंगे?'

राहुल की ओर से राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर लगाए गए आरोपों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस मामले से जुड़े तथ्यों को दबाने का प्रयास कर रही है। बिना किसी साक्ष्य के आरोप लगाए जा रहे हैं। पीएम ने कहा, 'मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि सच को इस तरह कुचला जाएगा। क्यों हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर राजनीतिक खेल खेला जाता है? देश इसके लिए कभी माफ नहीं करेगा। इन आरोपों के बाद दोनों देशों को बयान जारी कर इनका खंडन करना पड़ा। क्या हम इसी तरह बचकाना व्यवहार करना जारी रखेंगे? क्या जिम्मेदारी का कोई भाव नहीं हैं? आपकी रणनीति बिना किसी सबूत के चीख-चिल्लाकर झूठ को सच बनाने की है, लेकिन देश की जनता इसे अच्छी तरह जान चुकी है।'

 इससे पहले, राहुल ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार यह झूठ फैला रही है कि राफेल सौदे को लेकर फ्रांस के साथ एक गोपनीयता करार हुआ है, जिसके चलते इस विमान की कीमत और समझौते के ब्यौरे को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। राहुल ने दावा किया था कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने खुद एक मुलाकात के दौरान यह बात उन्हें बताई थी। हालांकि पीएम से पहले ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल के दावों को साक्ष्यों के साथ खारिज कर दिया। उन्होंने सदन में भारत और फ्रांस के बीच 2008 में हुए गोपनीयता समझौते की  प्रति दिखाई। यह रक्षा सौदे का ब्यौरा सार्वजनिक न किए जाने से जुड़ा है। इसके बाद फ्रांस सरकार ने भी राहुल गांधी के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दोनों सरकारों के बीच गोपनीयता करार है। इसके दायरे में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा भी आता है।