रिश्वत लेने के साथ अब रिश्वत देना भी महंगा पड़ेगा। भ्रष्टाचार निरोधन कानून के संशोधन पर संसद ने अपनी मुहर लगा दी है। रिश्वत लेने के अपराध में सज़ा का प्रावधान कम से कम 6 महीने कैद से बढ़ाकर 3 साल कैद और अधिकतम 3 साल से बढ़ाकर 5 साल कैद कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन पर लोकसभा ने भी मुहर लगा दी है। पिछले हफ़्ते राज्य सभा से पारित होने के बाद आज इसे लोकसभा ने भी पारित कर दिया। राष्ट्रपति की अनुमति के बाद जल्द ही नया कानून अमल में आ जाएगा। लंबे समय से अटके इस बिल में घूस लेने के साथ साथ घूस देने के मामले में भी कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
रिश्वत को लेकर नए कानून में कई बदलाव किए गए हैं। मतलब केवल रिश्वत लेना ही अपराध नहीं बनाया गया है बल्कि रिश्वत चाहना या मांगना भी अपराध है। रिश्वत लेने के अपराध में सज़ा कम से कम 6 महीने कैद से बढ़ाकर 3 साल कैद और अधिकतम 3 साल से बढ़ाकर 5 साल कैद कर दिया गया है।
इसी तरह पहली बार रिश्वत देने या उसकी पेशकश करने को भी अपराध बना दिया गया है। इसके लिए भी न्यूनतम सज़ा 3 साल की कैद और अधिकतम सज़ा 5 साल तक की गई है। नए कानून की एक अहम बात ये है कि इसमें पहली बार भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को निपटाने की समय सीमा तय की गई है। रेयर मामलों को छोड़कर 2 साल के भीतर ऐसे मामलों का निपटारा करना अनिवार्य होगा। इसी तरह सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच की अनुमति भी 3 महीने के भीतर देना अनिवार्य बनाया गया है।
कानून में संशोधन के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने ट्वीट किया है कि ये ऐतिहासिक फैसला है। भ्रष्टाचार निरोधक कानून के बनने के 30 सालों बाद इसमें संशोधन हुआ है।
Tap below for #Video: Parliament makes history with the passage of Prevention of Corruption (Amendment) Bill, 30 years after the passage of Prevention of Corruption Act 1988. Unanimously passed by both #RajyaSabha as well as #LokSabha. Highlights as follows. @PIB_India pic.twitter.com/tzTaWWk0oy
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) July 25, 2018
नए कानून में रिटायर ऑफिसरों को बड़ी राहत दी गई है। ऐसे अधिकारियों के ख़िलाफ़ जांच के पहले जांच एजेंसियों को सरकार से अनुमति लेनी होगी।
Last Updated Jul 25, 2018, 5:08 PM IST