नई दिल्ली। त्योहार के आते ही बाजार में उत्पादों की बिक्री शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार बाजार कुछ बदला बदला सा है। क्योंकि बाजार से ज्यादातर चीनी उत्पाद गायब हो रहे हैं और देशी सामान उपलपब्ध हैं। बाजार में गाय के गोबर मोमबत्ती, धूपबत्ती, अगरबत्ती, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, समरणी, हार्डबोर्ड, वॉल-पीस, पेपर-वेट, हवन सामग्री, भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी मिल रही है। बताया जा रहा है कि देशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए पंचगव्य उत्पादों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक दुकानदार भी इस बार चीनी उत्पादों के खिलाफ हैं। देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए ट्रेडर्स ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया हुआ है। वहीं कई संस्थाओं ने गौशालाओं की आय को बढ़ाने और गाय के गोबर का महत्व लोगों तक पहुंचाने के मकसद से 'कामधेनु दीपावली अभियान' की शुरूआत की है। यह अभियान राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने शुरु किया है। इस अभियान के तहत दीवाली से जुड़े गाय के गोबर से 12 उत्पाद बनाए गए हैं। इस अभियान से महिलाओं को जोड़ा गया है और उनके जरिए सामान बनाया जा रहा है।

इसके साथ ही कई शहरों के की गौशालाओं को जोड़ा गया है। वहीं जनसंपर्क और लोकल बाज़ार की मदद से लोगों के बीच इन उत्पादों  को बेचा रहा है। असल में 'कामधेनु दीपावली अभियान' से पहले पीएम नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर गौमाया गणेश अभियान चलाया गया था और गाय के गोबर से मूर्तियां तैयार की गईं थी।  इस अभियान के सफलता के साथ ही दीवाली के लिए उत्पादों को तैयार किया गया है।  इसमें मोमबत्ती, धूपबत्ती, अगरबत्ती, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, समरणी, हार्डबोर्ड, वॉल-पीस, पेपर-वेट, हवन सामग्री, भगवान लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों को तैयार किया गया है।  आयोग के अध्यक्ष का कहना है कि संस्था की तरफ से  देश के 11 करोड़ परिवारों तक 33 करोड़ गाय के गोबर से बने दीए पहुंचाने का टारगेट रखा गया है।

अभी  तक 3 लाख दीयों का ऑर्डर अयोध्या, एक लाख वाराणसी से मिल चुका है और संस्था का मकसद चीन में बने दीयों को खत्म कर अपने लोगों के लिए रोज़गार के रास्ते खोलने हैं। इसके जरिए संस्थान भारतीय घर तक गाय के गोबर से बने यह 12 आइटम पहुंचा के लक्ष्य पर काम कर रीह है। इस अभियान में डेयरी किसानों, बेरोजगार युवाओं, महिलाओं और युवा उद्यमियों, गौशालाओं, गोपालकों को शामिल किया गया है।  वहीं लोगों के जरिए इन उत्पादों को बेचा जा रहा है।