लखनऊ। अयोध्या में दिवाली की पूर्व संध्या पर आयोजित होने वाला वार्षिक 'दीपोत्सव' कार्यक्रम मौजूदा महामारी के कारण प्रभावित नहीं होगा। वहीं इस साल यह बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। हालांकि इस बार आयोजन में जन भागीदारी कम होगी। चूंकि राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद यह पहला दीपोत्सव है, ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि यह उत्सव पहले से कहीं अधिक भव्य हो।

मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक में संस्कृति विभाग से 'दीपोत्सव' आयोजन पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन मांगी है। अधिकारी ने कहा, "मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इस साल का दीपोत्सव यादगार बने। ऐसे में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि दुनिया भर के लोग इस घटना को वर्चुअली देख सकें।"दीपोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत साल 2017 में योगी आदित्यनाथ ने किया था। इस उत्सव में निवासियों और स्वयंसेवकों, भक्तों को एक साथ आकर रिकॉर्ड संख्या 1.76 लाख मिट्टी के दीप जलाते हुए देखा गया।

पिछले साल अयोध्या ने 5.51 लाख दीप जलाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। इस आयोजन ने गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में जगह बनाई थी। इस साल, हालांकि, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि ज लाए जाने वाले दीपों की संख्या बढ़ाई जाएगी या नहीं। सूत्रों ने कहा कि राज्य का पर्यटन विभाग इस शहर को सुंदर तरीके से लाइटों से सजाना चाहता है। दीपोत्सव के दौरान शहर में एलईडी लाइटबॉक्स लगाई जाएंगी। ऐक्रिलिक शीट से बने बॉक्स एक नए तरीके से क्षेत्र को रोशन करेंगे। शहर की सड़कों पर रथ पर सवार 'राम दरबार' को दशार्ती एक आश्चर्यजनक लाइफ-साइज आकृति भी दिखाई देगी।

वहीं सरयू नदी के तट पर राम की पैड़ी में राम दरबार की एक और आकृति स्थापित होगी। करीब 18 फीट ऊंची संरचना में नक्काशीदार खंभे और अन्य सजावटी तत्व शामिल किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम को 'राज्य मेला' का दर्जा दे चुकी है। इसके स्टेटस में बदलाव के साथ अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अब मेले की योजना बनाई जाएगी।