शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से सौदे की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में मांगा था। इसके बाद, केंद्र सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की कीमत का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंप दिया था।
राफेल विमान सौदे पर मोदी सरकार पर हमलावर विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में जांच की मांग वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि राफेल सौदे में कोई धांधली या अनियमितता नहीं है। राफेल विमान की गुणवत्ता पर कोई शक नहीं है। देश को अच्छे विमानों की जरूरत है तो राफेल डील पर सवाल क्यों? राफेल विमान सौदे में कीमतों की जांच सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। हम कुछ लोगों की धारणा के आधार पर फैसला नहीं दे सकते हैं।
इस संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से सौदे की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में मांगा था। इसके बाद, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की कीमत का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंप दिया। इसके अलावा सरकार ने सौदे की निर्णय प्रक्रिया का ब्योरा पक्षकारों को भी दिया। इसमें कहा गया है कि राफेल में रक्षा खरीद सौदे की तय प्रक्रिया का पालन किया गया। 36 राफेल विमानों को खरीदने का सौदा करने से पहले डिफेंस एक्यूजिशन काउंसिल (डीएसी) की मंजूरी ली गई थी। इतना ही नहीं करार से पहले फ्रांस के साथ सौदेबाजी के लिए इंडियन नेगोसिएशन टीम (आईएनटी) गठित की गई थी जिसने करीब एक साल तक सौदे की बातचीत की और खरीद सौदे पर हस्ताक्षर से पहले कैबिनेट कमेटी आन सिक्योरिटी (सीसीए) व काम्पीटेंट फाइनेंशियल अथॉरिटी (सीएफए) की मंजूरी ली गई थी।
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सरकार ने कोर्ट में दिए 14 पन्नों के हलफनामे में कहा था कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है। इस हलफनामे का शीर्षक ‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाए गए कदमों का विवरण’ था। हालांकि अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय से कहा था कि राफेल सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और ऐसे मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है।
यहां तक कि सुनवाई के दौरान सीजेआई द्वारा तलब करने पर वायुसेना के अधिकारी भी कोर्ट पहुंचे थे। एयर वाइस मार्शल चलपति ने सीजेआई रंजन गोगोई के सवालों का जवाब देते हुए बताया था कि आखिर राफेल की जरूरत क्यों है? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि फ्रांस की सरकार ने 36 विमानों की कोई गारंटी नहीं दी है लेकिन प्रधानमंत्री ने लेटर ऑफ कम्फर्ट जरूर दिया है।
पीठ राफेल सौदे को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में केंद्र को ये निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राफेल सौदे के ब्योरे और संप्रग और राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान सौदे की तुलनात्मक कीमतों का विवरण सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंपे।
Last Updated Dec 14, 2018, 12:30 PM IST