संकटग्रस्त कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंस सर्विसेज (आईएल एंड एफएस) को एलआईसी और सेबी के माध्यम से बेलआउट पैकेज देने पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधने वाले राहुल गांधी के आरोप सोमवार को औंधे मुंह गिरे। माय नेशन संवाददाता के हाथ दो पन्नों का वह पत्र लगा है जो कांग्रेस सांसद ने के.वी. थॉमस ने कंपनी को बेलआउट देने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा था। 

राहुल गांधी के आरोप

रविवार को, राहुल ने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों एलआईसी और एसबीआई के संसाधनों का उपयोग करके संकट में फंसी कंपनी को 91,000 करोड़ रुपये का बेलआउट पैकेज बढ़ाया।

राहुल के आरोप यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते इसी कंपनी को 71,000 रुपये की एक परियोजना दी गई थी।

 

इस मामले में  प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि "प्रधान मंत्री के लिए आईएल एंड एफएस का मतलब 'आई लव फाइनेंशियल स्कैम्स' है"। 

 

लेकिन सच तो ये है कि यही वह कांग्रेस है जिसने बेलआउट की मांग की थी। सवाल यह है कि एक संकटग्रस्त कंपनी को वित्तीय सहायता दिेए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष क्यों छाती पीट रहे हैं जब उन्हीं के पार्टी के नेता इसकी मांग की थी। 

राहुल के आरोप लगाने के महज 10 दिन पहले यूपीए कार्यकाल में मंत्री रहे और वर्तमान में एर्नाकुलम से कांग्रेस सांसद के.वी. थॉमस ने 20 सितंबर को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख कर कंपनी को वित्तीय सहायता दिए जाने की वकालत की थी। 

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थॉमस की चिट्ठी में साफ लिखा है कि "अगर किसी कारण से आईएल एंड एफएस लिक्विडिटी की कमी के कारण अपनी प्रतिबद्धता में चूक जाती है, तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था, बैंकों, लाखों व्यक्तिगत निवेशकों पर भारी असर पड़ेगा, जिन्होंने म्यूचुअल फंड में अपनी बचत जमा की है और अंतरराष्ट्रीय निवेशक भी इससे प्रभावित होंगे"

थॉमस ने कंपनी की मदद करने के तीन तरीकों का सुझाव दिया। उन्होंने प्रधान मंत्री से कहा कि "एलआईसी, एसबीआई, एचडीएफसी जैसे भारतीय संस्थागत निवेशकों को कंपनी द्वारा अनुरोध किए गए 8000 करोड़ रुपये की इक्विटी और ऋण प्रदान करने के लिए आईएल एंड एफएस का समर्थन करने के लिए मार्गदर्शन करें।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और अन्य सरकारी एजेंसियां प्राथमिकता पर आईएल एंड एफएस को धन जारी करती हैं।

इस मुद्दे पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल गांधी के दुष्प्रचार पर बड़ा हमला बोला

जेटली ने ट्वीट किया कि "क्या यह 2005 में एक घोटाला था जब एलआईसी ने आईएलएंडएफएस में 15% और मार्च 2006 में आईएलएंडएफएस में 11.10% की हिस्सेदारी हासिल की थी? वास्तव में, एलआईसी ने 2010 में आईएलएंडएफएस में 19.34 लाख शेयर खरीदे थे"।

उन्होंने यह भी कहा कि "पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस पार्टी सरकार के प्राइवेट कंपनी आईएलएंडएफएस को संकट से उबारने के कदमों  पर झूठ फैलाने में लगी है"।

आईएल एंड एफएस समूह एक कोर निवेश कंपनी है। इस वित्त कंपनी ने उद्योग धंधे की आड़ में घपला करने वाले उधारदाताओं को भुगतान कर चूक कर दी। इस चूक ने आईएल एंड एफएस से जुड़े कई निवेशकों और बैंकों को झटके दिए। चूंकि कंपनी सड़कों जैसी कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में शामिल है, इसलिए इसमें केंद्र ने हस्तक्षेप किया। मोदी सरकार ने आईएलएंडएफएस के प्रबंधन नियंत्रित करने का फैसला समय पर ले लिया ताकि इससे पैदा नकारात्मक लहर का ज्यादा असर ना हो और बेरोजगारी की समस्या ना बढ़े।