जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में 200 विधानसभा सीट पर 2 हजार से भी ज्यादा नेता चुनाव लड़ेंगे। 25 नवम्बर को चुनाव है। तमाम नेताओं ने टिकट न मिलने पर पाला भी बदला है। पर इस बीच कुछ ऐसे नेताओं की कहानी दिलचस्प हो चली है, जो टिकट के चक्कर में न घर के ही रहें न घाट के। मतलब यह कि उन्होंने टिकट न​ मिलने पर दल बदल दिएं। पर दूसरे दल ने भी उनको मौका नहीं दिया। हम आपको राजस्थान के ऐसे ही 4 सीनियर लीडर की कहानी बता रहे हैं। 

ज्योति खंडेलवाल को लगा झटका

जयपुर शहर की मेयर रही, कांग्रेस नेत्री ज्योति खंडेलवाल पिछली बार सांसदी का चुनाव हार गई थीं। पिछली बार भी उन्हें एमएलए का टिकट नहीं मिला। इस बार भी पार्टी ने उनकी मनुहार नहीं सुनी तो ज्योति नाराज हो उठीं और बीजेपी का दामन थाम लिया। किशनपोल सीट से टिकट मिलने की उम्मीद थी। पर बीजेपी ने भी उन्हें मौका नहीं दिया। 

सुरेश मिश्रा भी खाली हाथ 

कांग्रेस के ​सीनियर लीडर सुरेश मिश्रा 20 से पार्टी से जुड़े रहे। पहली बार चुनाव में करारी हार मिली थी। दोबारा पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया। इस बार फिर से वह सांगानेर सीट से टिकट पाने की दौड़ में शामिल थे। पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। फिर बीजेपी ज्वाइन कर ली। पर वहां भी टिकट नहीं मिला। खाली हाथ ही संतोष करना पड़ा है।

रविन्द्र सिंह भाटी हो गए निर्दलीय

जोधपुर से छात्र राजनीति के बड़े चेहरे रविन्द्र सिंह भाटी का युवा चेहरों में बड़ा नाम है। किसी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं थे। पर कांग्रेस नेताओं से गहरा संपर्क था। शिव विधानसभा ​सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बनना चाहते थे। भाजपा से आफर मिला तो वहां चले गए। टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय हो गए। अब रिजल्ट क्या होगा, यह चुनाव नतीजे बताएंगे।

चंद्रशेखर बैद का भी हाल हुआ बेहाल

चूरू जिले के सीनियर कांग्रेसी लीडर चंद्रशेखर बैद को टिकट नहीं मिला तो उन्हें बीजेपी में भविष्य दिखने लगा। बताया जा रहा है कि बीजेपी से उनका टिकट तय माना जा रहा था। इसलिए उन्होंने हाथ में कमल पकड़ा। पर निराशा हाथ लगी। दूसरी सीट से भी प्रत्याशी बनने की कोशिश की पर अन्य दावेदारों की रेस में पिछड़ गए। बिना टिकट के उनका भी हाल बेहाल है।

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