नई दिल्ली। राज्यसभा के होने वाले चुनावों के लिए ओडिशा में अब भाजपा की नजर कांग्रेस पर है। जहां कांग्रेस के नौ विधायक है और भाजपा को एक सीट के लिए पांच विधायकों की जरूरत है। जबकि बीजू जनता दल ने राज्य की चार राज्यसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। लिहाजा अब भाजपा कांग्रेस विधायकों को साधने में लगा है। हालांकि कांग्रेस ने ऐलान कर दिया है कि वह राज्यसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेगा। लिहाजा कांग्रेस विधायकों के क्रास वोटिंग करने की आशंका बढ़ गई है।

हालांकि अभी तक बीजद के पक्ष मे पलड़ा भारी दिख रहा है और उसने चार सीटों के लिए चारों प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया। वहीं भाजपा भी अब मैदान में उतरने की तैयारी में है।  लिहाजा उस कांग्रेस के विधायकों की मदद मिल सकती है। लेकिन इसके लिए कांग्रेस के विधायकों को पार्टी के फैसले के उलट क्रास वोटिंग करनी होगी। राज्य की 147 सदस्यीय विधानसभा में बीजद के 113, भाजपा के 23 और कांग्रेस के नौ विधायक हैं। हालांकि अब कांग्रेस ने ऐलान कर दिया है कि वह राज्यसभा के चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी।

जबकि भाजपा ने चुनाव में उतरने की तैयारी कर दी है। राज्य में एक सीट के लिए 28 वोटों की जरूत है। ऐसे में बीजद के सभी प्रत्याशियों का जीतना तय है। वहीं अगर भाजपा क्रास वोटिंग कराने  में सफल होती है तो इससे बीजद को झटका लग सकता है और चौथी सीट उसके खाते में जाने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में भाजपा के लिए एक सीट जीतना आसान नहीं है। बशर्ते कांग्रेस के पांच विधायक उसे समर्थन दे।  राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा नेता प्रदीप नाइक ने कहा कि पार्टी का केंद्रीय संसदीय बोर्ड इस संबंध में अंतिम निर्णय लेगा।

जबकि ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख निरंजन पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी न तो बीजद का समर्थन करेगी और न ही भाजपा के उम्मीदवारों का। गौरतलब है कि बीजद पहले ही चार पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। जिसमें एक ट्रेड यूनियन नेता, एक मुस्लिम नेता और एक ओबीसी महिला शामिल है। बीजद ने ममता महंत, मुन्ना खान, ट्रेड यूनियन नेता सुभाष सिंह और टेक्नोक्रेट सुजीत कुमार को उम्मीदवार बनाया गया।