नई दिल्ली--अयोध्या में राम मंदिर के लिए 1992 जैसे आंदोलन के संघ से मिले संकेत के बाद योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है। योगी ने राजस्थान में एक चुनावी रैली में कहा कि राम मंदिर निर्माण का काम जल्द शुरू होगा। योगी ने देश भर के लोगों से अपील की है कि राम मंदिर निर्माण के लिए वे 6 नवंबर को अपने घरों में प्रभु राम के नाम का एक दीपक जलाएं।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्मस्थल उपासना के नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकात्मकता के भी स्थल हैं और प्रत्येक नागरिक के लिए धर्मस्थल खुले रहने चाहिए, यह आज के समय की जरूरत है। इस सौके योगी ने बीकानेर में श्रीनवलेश्वर मठ सिद्धपीठ में योगी श्रीमत्स्येंद्रनाथ, योगी गुरु गोरक्षनाथ और भगवान आदित्यदेव की प्रतिमाओं का अनावरण किया।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम मर्यादापुरुषोत्तम थे और उनका जीवन एक आदर्श है। योगी आदित्यनाथ जब सभा को संबोधित कर रहे थे उस समय मंच के नीचे भीड़ 'जयश्री राम' का नारा लगा रही थी। 

उधर राम मंदिर को लेकर हलचल तेज हो गई है। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम देश भर से 3 हजार संत जुटे हैं। संतों के इस जमावड़े को धर्मादेश संत महासम्मेलन नाम दिया गया है। इस कार्यक्रम से पहले राम मंदिर न्यास के सदस्य रामविलास वेदांती ने कहा कि आपसी सहमति से दिसंबर में भी राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा। 

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने वेदांती के प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकार संसद के शीत सत्र में कानून लाकर मंदिर निर्माण की राह खोले तो ज्यादा अच्छा 

उन्होंने कहा कि मुस्लिम चाहें तो लखनऊ में मस्जिद बना सकते हैं। तालकटोरा स्टेडियम में जुटे 1000 से ज्यादा संतों ने दिसंबर में ही राम मंदिर का काम शुरू करने का ऐलान कर डाला। रविवार को राम मंदिर पर प्रस्ताव भी पास किया जाएगा। 

इधर मंगिर को लेकर संत समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरफ से बढ़ते दबाव के बाद अब मोदी सरकार के मंत्रियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कैबिनेट मंत्री उमा भारती ने कहा है कि उन्होंने सक्रिय रूप से रामजन्मभूमि आंदोलन में हिस्सा लिया था और अयोध्या में राम मंदिर उनका सपना है। उमा ने कहा कि वह किसी भी प्रक्रार की मदद के लिए तैयार हैं। उधर केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने तो मंदिर के मसले पर सीधे कानून की वकालत की है।  

बता दें कि पिछले दिनों संघ ने संकेत दिए हैं कि अगर जरूरी हुआ तो वह अयोध्या में राम मंदिर के लिए 1992 जैसा आंदोलन कर सकता है। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष से अयोध्या विवाद पर लगातार प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर को अयोध्या मामले की सुनवाई को जनवरी के लिए टाल दिया। इसके बाद संघ और अन्य हिंदुवादी संगठनों की तरफ से मोदी सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव बन रहा है।