पिछले तीन सालों में देश में एटीएम फ्रॉड के मामले में भारी बढ़ोतरी हुई है। ये वृद्धि 400 प्रतिशत की है। भारतीय रिजर्व बैंक की ओर जारी डाटा में ये बातें सामने आई हैं। 2015-16 में फ्रॉड के कुल 563 मामले सामने आए जिसमें लोगों के खून-पसीने की 16 लाख 57 करोड़ की राशि जालसाजों ने उड़ा ली, वहीं 2017-18 में फर्जीवाड़े के मामले 911 तक पहुंच गए जिसमें फरेबियों ने 65 करोड़ 26 लाख की राशि उड़ा ली। इस आंकड़े में 1 लाख से कम के फ्रॉड के मामले शामिल नहीं हैं।


फर्जीवाड़े से सबसे ज्यादा प्रभावित बैंक रहा है आईसीआईसीआई जिसके 348 कस्टमर्स के 6 करोड़ 65 लाख रुपये का चूना लगा। वहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 144 कस्टमर्स के साथ धोखाधड़ी हुई और इनके 10 करोड़ 22 लाख रुपये पर जालसाजों ने हाथ साफ कर लिया।


आरबीआई के आंकड़े में चौंकाने वाली बड़ी बात तो ये थी कि सिटी यूनियन बैंक से धोखाधड़ी के एक ही मामले में ठगों ने 31 करोड़ का गबन कर दिया। ये रकम 2017-18 में हुई धोखाधड़ी से उगाही गई कुल राशि का 40 प्रतिशत है।


इस साल अप्रैल से लेकर जून तक कुल 270 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें जालसाजों ने लोगों को मूर्ख बनाकर और एटीएम कार्ड का ब्यौरा जानकर लोगों को चूना लगाया है।
पिछले तीन सालों में एटीएम प्रॉड के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है। 2017-18 में कुल 563 मामले रिकॉर्ड हुए जो 2016-17 में 724 हो गए। जो लगभग 30 प्रतिशत के इजाफे के साथ पिछले वित्त वर्ष में 911 हो गए।


ठीक इसी तरह 2015-16 में ठगों ने 16 करोड़ 57 लाख रुपये पर हाथ साफ किया, जो 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 2015-16 में 24 करोड़ 47 लाख हो गया। पिछले वित्त वर्ष में तो जालसाजी कर उड़ाई गई राशि 65 करोड़ तक पहुंच गई जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 150 प्रतिशत ज्यादा थी।


दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के मुताबिक ये फरेबी बड़ा कॉमन तरीका अपनाते हैं जिसमें ये आपसे आपके बैंक और कार्ड की गोपनीय जानकारी हासिल करते हैं, जैसे कि कस्टमर आईडी, नेट बैंकिंग पासवर्ड, एटीएम पिन, ओटीपी, कार्ड एक्सपायरी डेट, सीवीवी आदि की जानकारी लेना। ये पूरी कवायद ठग पोन पर करते हैं”। 


आपके लिए अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने का सबसे सही तरीका ये है कि आप कभी भी फोन पर किसी से भी अपनी बैंकिग डिटेल शेयर ना करें।

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