अरुणाचल के सियांग जिले में 3 जून को हादसे का शिकार हुए वायुसेना के एएन-32 विमान की क्रैश साइट पर राहत और बचाव दल पहुंच गया। हालांकि दल को वहा कोई भी जीवित नहीं मिला। इस विमान में चालक दल के आठ सदस्यों समेत 13 लोग सवार थे। इनमें सात लोग अधिकारी और छह लोग एयरमैन रैंक के थे। सभी के परिजनों को इस संबंध में सूचना दे दी गई है। 

मंगलवार को विमान की क्रैश साइट का पता लगने के बाद बुधवार को 15 सदस्यों की एक टीम को घटनास्थल के पास हेलीकॉप्टर से एयरड्रॉप किया गया था। इस टीम में सेना, वायुसेना जवान और पर्वतारोही शामिल थे। इनमें से आठ लोगों की पहली टीम क्रैश साइट पर पहुंची। 

वायुसेना की ओर से ट्वीट कर कहा गया, बचाव दल के आठ सदस्य बृहस्पतिवार सुबह क्रैश साइट पर पहुंचे। वायुसेना को यह बताते हुए दुख हो रहा है कि एएन-32 की क्रैश साइट पर कोई भी जीवित नहीं मिला।

एक अन्य ट्वीट में कहा गया, 'भारतीय वायुसेना सभी बहादुर एयर वॉरियर्स को नमन करती है। वह इस हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक वायुसेनाकर्मी के परिवार के साथ खड़ी है।'

इस हादसे में जान गंवाने वालों में विंग कमांडर जीएम चार्ल्स, स्क्वॉड्रन लीडर एच विनोद, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट ई थापा, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट ए तंवर, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट एस मोहंती, फ्लाइंग लेफ्टिनेंट एमके गर्ग, डब्ल्यूओ केके मिश्रा, सार्जंट अनूप कुमार, कॉर्पल शेरिन, एलएसी एसके सिंह, एलएसी पंकज एनसी (ई) पुताली और एनसी (ई) राजेश कुमार शामिल हैं। 


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अरुणाचल के दुर्गम इलाके में क्रैश हुए विमान का पता लगाने के लिए तीनों सेनाओं की मदद से नौ दिन तक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया था। इस दौरान एमआई-17 हेलिकॉप्टर को अरुणाचल के सियांग के रीपो से 16 किलोमीटर दूर जंगल में विमान का मलबा दिखाई दिया था। जहां यह मलबा दिखा, वह जगह समुद्री तल से 12,000 फीट की ऊंचाई पर है। एएन-32 ने 3 जून को असम के जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरी थी। यह अरुणाचल में लापता हो गया था।