अभी तक सपा-बसपा के गठबंधन से बाहर चल रहा रालोद अब गठबंधन में शामिल हो गया है. हालांकि गठबंधन में उसको उसकी मांग के अनुरूप सीटें तो नहीं मिल रही हैं. लेकिन अब इस फार्मूले के तहत रालोद की नाराजगी सपा दूर कर रही है. ताकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मतों का विभाजन न हो. अब ये तय हो गया है कि सपा और बसपा के गठबंधन में रालोद भी अहम भूमिका निभाएगा. 

यूपी में गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद सपा-बसपा नेतृत्व सीटों को लेकर मंथन में जुटा है. यूं तो कौन दल कहां से लड़ेगा, इसका खाका खींचा जा चुका है. दोनों ही दलों के बीच लोकसभा की 38-38 सीटों का बंटवारा हुआ है. दो सीटें रालोद के लिए छोड़ी गई थी. लेकिन रालोद ने नाराजगी जताई और सपा और बसपा के गठबंधन के ऐलान के वक्त वह प्रेस कांफ्रेंस से दूर रहा.

हालांकि भाजपा और कांग्रेस से गठबंधन न होने पाने के बाद अजीत सिंह की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकदल ने फिर से सपा-बसपा के गठबंधन में जाना ही बेहतर समझा. लिहाजा दो से बजाय तीन सीटें मिलने पर सहमति बनी. हालांकि इस तीसरी सीट पर कैराना का फार्मूला लागू किया जाएगा. दो साल पहले राज्य में हुए कैराना लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में सपा का प्रत्याशी रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ा था. वैसा ही मथुरा की सीट पर होगा. प्रत्याशी तो रालोद का होगा, लेकिन सिंबल सपा का होगा. हालांकि सपा-बसपा अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस नेताओं के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारेगी.

ऐसा कहा जा रहा है कि कल जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच लोकसभा सीटों के बारे में सहमति बन गयी है. रालोद यूं तो चार सीटें बागपत, मुजफ्फरनगर,मथुरा और हाथरस की मांग कर रहा था. लेकिन उसे कैराना में दावेदारी छोड़नी पड़ रही है वहीं रालोद के खाते में बागपत और मुजफ्फरनगर सीट देने की बात कही गयी है. इसके साथ ही मथुरा सीट पर कैराना फार्मूला अपनाया जाएगा.

लोकसभा के उपचुनाव में कैराना लोस सीट यूं तो रालोद ने लड़ी, मगर वहां से जीतीं तब्बसुम हसन, परोक्ष रूप से समाजवादी पार्टी की ही प्रत्याशी थीं. क्योंकि रालोद प्रत्याशी घोषित होने से चंद घण्टे पहले ही उन्होंने सपा छोड़ रालोद का दामन थामा था.इस सीट से मौजूदा सांसद तब्बसुम सपा के टिकट पर लड़ेंगी.