सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर पूर्व सैन्य अधिकारियों की ओर से कथित तौर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखे जाने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा था कि पूर्व सैन्य अधिकारियों की ओर से राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल और भाषणों में 'मोदी की सेना' जैसे शब्दों पर आपत्ति जताई गई है। 156 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने सेना के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति को इस संबंध में पत्र लिखा है। हालांकि जिन अधिकारियों के नाम इसमें दिए गए हैं उनमें से कुछ अधिकारियों ने इस पत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने इसे फर्जी बताया है। पूर्व सैनिकों के नाम पर पीएम मोदी को घेरने की कोशिश कर रही कांग्रेस को भी इस विवाद से झटका लगा है। कांग्रेस ने इस पत्र के हवाले से पीएम मोदी पर सैनिकों को इस्तेमाल वोट के लिए करने का आरोप लगाया था।

सेना के पूर्व प्रमुख जनरल (रिटा.) एसएफ रॉड्रिग्स  ने ऐसी किसी चिट्ठी की जानकारी होने से ही इनकार किया है। खास बात यह है कि जिन अधिकारियों के नाम से यह चिट्ठी जारी की गई है उनमें सबसे पहला नाम जनरल एसएफ रॉड्रिग्स का ही लिखा है। ऐसे में इस चिट्ठी पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। उधर, राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने भी ऐसा कोई पत्र मिलने से इनकार किया है। 

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पूर्व सेना प्रमुख जनरल रॉड्रिग्स ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि यह सब क्या है। मैं अपनी पूरी जिंदगी राजनीति से दूर रहा हूं। 42 साल तक अधिकारी के तौर पर काम करने के बाद अब ऐसा हो भी नहीं सकता। मैं हमेशा भारत को प्रथम रखा है। मैं नहीं जानता कि यह कौन फैला रहा है। यह फेक न्यूज का क्लासिक उदाहरण है।' 

उन्होंने कहा, 'हमने अपनी सेवा के दौरान हर उस आदेश का पालन किया है जो हमें सरकार ने दिया था। हम देश के लिए काम करते हैं। हम राजनीतिक नहीं हैं। कोई भी कुछ भी कह सकता है और फिर इस फर्जी खबर को बेच सकता है। मैं नहीं जानता की ये पत्र लिखने वाला शख्स कौन है। किसने यह पत्र राष्ट्रपति को लिखा है।'

इस पत्र में पूर्व वायुसेना प्रमुख एनसी सूरी का नाम भी बताया गया था। उन्होंने भी ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि यह पूर्व सैन्य अधिकारियों की ओर से राष्ट्रपति को लिखा गया एडमिरल रामदास का पत्र नहीं है। यह तो किसी मेजर चौधरी ने लिखा है। यह व्हाट्सएप और ईमेल पर आया।  उन्होंने कहा, मैंने उसमें लिखा था कि सेनाएं राजनीतिक नहीं होती और चुनी हुई सरकार के साथ खड़ी होती हैं। लेकिन इस तरह के किसी पत्र के लिए मैंने कोई सहमति नहीं दी। इस पत्र में जोकुछ भी लिखा हुआ है, मैं उससे सहमत नहीं हूं। हमें इस पत्र में गलत तरीके से पेश किया गया है। 

सेना के पूर्व उपसेनाप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू ने भी कहा है कि मैंने न तो कभी इस तरह का पत्र लिखा और न ही इस तरह के पत्र के लिए मेरी सहमति ली गई। ले. जनरल नायडू का नाम इस पत्र में 20वें नंबर पर है।

कांग्रेस की किरकिरी

पूर्व सैन्य अधिकारियों के इस तरह के पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार के बाद कांग्रेस की बड़ी किरकिरी हो गई है। दरअसल, पार्टी ने कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडिल से प्रियदर्शी नाम के ट्विटर यूजर्स के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा था, 'मोदी भले ही वोटों के लिए सैनिकों का इस्तेमाल करें लेकिन यह साफ है कि सैनिक भारत के साथ खड़े हैं, भाजपा के साथ नहीं। भारतीय सेनाओं के 8 पूर्व प्रमुखों समेत 156 पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। वह वोटों को लिए सैनिकों को इस्तेमाल कर रहे हैं।'

हालांकि मेजर जनरल रिटा. हर्ष कक्कड़ ने कहा है कि उन्होंने चिट्ठी पढ़ने के बाद अपना नाम शामिल करने पर सहमति दी थी। इसके अलावा पूर्व आर्मी चीफ शंकर रॉय चौधरी ने भी खत लिखे जाने की बात स्वीकारी है।