खासबात है कि ट्रंप के इस फैसले से पहले अमेरिकी संसद में कम से कम 50 सांसदों ने मांग की थी कि भारत के लिए इस राहत को बंद न किया जाए। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने इन सभी मांगों को ठुकराते हुए 5 जून 2019 से भारतीय उत्पादों को राहत से मुक्त करने का फैसला कर लिया। लिहाजा, अब इस तारीख के बाद अमेरिका पहुंचने वाले हजारों उत्पादों पर अधिक टैक्स लगना शुरू हो जाएगा।
भारत को वरीयता सामान्य व्यवस्था (जीएसपी) के जरिए टैरिफ में राहत बंद करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच ने कड़ी आलोचना की है। स्वदेशी मंच ने दावा किया है कि अमेरिका यह दबाव इसलिए बना रहा है जिससे भारत अपनी रिटेल नीतियों को अमेरिकी मल्टीनैशनल कंपनियों के हित में तैयार करे।
दरअसल अमेरिकी का सामान्य तरजीही व्यवस्था (जीएसपी) अमेरिका का सबसे बड़ा और पुराना व्यापार तरजीही कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के तहत कुछ चुनिंदा लाभार्थी देशों के हजारों उत्पादों को शुल्क से छूट देते हुए उनकी आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है। वहीं आर्थिक जानकारों का मानना है कि ट्रंप के इस फैसले से भारत के कई उत्पादों पर अमेरिका में प्रशुल्क लगना शुरू हो जाएगा और भारतीय उत्पाद अमेरिका में महंगे होने से उसकी मांग कम होने लगेगी। इसका सीधा नुकसान भारत को प्रतिस्पर्धा से बाहर करते हुए उसके ट्रेड बैलेंस को बिगाड़ने का है।
खासबात है कि ट्रंप के इस फैसले से पहले अमेरिकी संसद में कम से कम 50 सांसदों ने मांग की थी कि भारत के लिए इस राहत को बंद न किया जाए। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने इन सभी मांगों को ठुकराते हुए 5 जून 2019 से भारतीय उत्पादों को राहत से मुक्त करने का फैसला कर लिया। लिहाजा, अब इस तारीख के बाद अमेरिका पहुंचने वाले हजारों उत्पादों पर अधिक टैक्स लगना शुरू हो जाएगा।
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स्वदेशी जागरण मंच के को-कनवीनर अश्विनी महाजन ने कहा कि ई-कॉमर्स के क्षेत्र में दिग्गज भारतीय कंपनी फ्लिपकार्ट को खरीदने के बाद वॉलमार्ट लंबी योजना के साथ भारतीय बाजार में एंट्री लेने की तैयारी कर रहा है। वहीं अमेरिका का ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन पहले भी भारतीय बाजार में सेंध मार चुका है। महाजन ने दावा किया कि इन दोनों कंपनियों को भारतीय नियमों में सुरक्षा के प्रावधानों पर आपत्ति है लिहाजा, ट्रंप की यह कवायद इसलिए की जा रही है जिससे भारत सरकार अपने कानून में इन कंपनियों के मुताबिक बदलाव कर ले।
अश्विनी महाजन के मुताबिक पिछले साल आए भारत के ई-कॉमर्स कानून में विदेशी निवेश वाली ऑनलाइन रिटेल कंपनियों को ऐसे उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है जिसमें उन विदेशी कंपनियों का निवेश है। वहीं भारतीय कानून ई-कॉमर्स खिलाड़ियों को किसी उत्पाद को बेचने के लिए कंपनी से एक्सक्लूजिव करार करने की मंजूरी भी नहीं देता. भारतीय कानून का यह पक्ष दोनों वॉलमार्ट और अमेजन को रास नहीं आ रहा है जिसके चलते कयास लगाया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
स्वदेशी जागरण मंच का दावा है कि यदि भारत अमेरिकी दबाव में अपनी ई-कॉमर्स नीतियों में बदलाव कर अमेजन और वॉलमार्ट के पक्ष में फैसला करता है तो उसका खामियाजा भारत में छोटे दुकानदारों को उठाना पड़ेगा।
Last Updated Jun 3, 2019, 9:58 AM IST