इस बात का खुलासा सतीश रेड्डी ने किया है। रेड्डी उस वक्त रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे। उनकी जब एपीजे अब्दुल कलाम से मुलाकात हुई तो उन्होंने रेड्डी से मिसाइलों को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणामी पर काम करने को कहा था। उन्होंने अपनी मौत के महज एक महीने पहले इस प्रणाली पर काम करने को कहा था। रेड्डी पहली बार बतौर एक युवा वैज्ञानिक 1986 में कलाम से मिले थे।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने निधन से महीने भर पहले देश में दोबारा मिसाइलों को उपयोग में लाने की तरकीब पर सोच रहे थे और इसके लिए उन्होंने मौजूदा डीआरडीओ प्रमुख सतीश रेड्डी को इस मिसाइल प्रणाली पर काम करने को कहा था।
लिहाजा अब केन्द्र की मोदी सरकार कलाम के इस सपने को पूरा करने में जुटी है। आज पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की चौथी पुण्यतिथि है। आज पूरा देश पूर्व राष्ट्रपति को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। आज ही दिन 2015 में भारत रत्न अब्दुल कलाम का निधन हो गया था।
इस बात का खुलासा सतीश रेड्डी ने किया है। रेड्डी उस वक्त रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे। उनकी जब एपीजे अब्दुल कलाम से मुलाकात हुई तो उन्होंने रेड्डी से मिसाइलों को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणामी पर काम करने को कहा था। उन्होंने अपनी मौत के महज एक महीने पहले इस प्रणाली पर काम करने को कहा था।
रेड्डी पहली बार बतौर एक युवा वैज्ञानिक 1986 में कलाम से मिले थे। हालांकि वर्ष 2012 में डीआरडीओ के तत्कालीन प्रमुख वी के सारस्वत ने भी एक साक्षात्कार में कहा था कि देश में मिसाइल को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणाणी पर काम हो रहा है।
रेड्डी ने बताया कि कलाम ने दोबारा उपयोग में लाई जा सकने वाली मिसाइलों पर एक विचार दिया था। यह एक ऐसी प्रणाली है, जिसके तहत मिसाइल को पेलोड ले जा सके, फिर वापस आ जाए और एक बार फिर दूसरा पेलोड ले जाए। कुछ इस तरह कि उसका बार बार इस्तेमाल हो सके। रेड्डी ने बताया कि उन्होंने कलाम से उनके निधन से महज महीने भर पहले उनके आवास पर मुलाकात की थी।
Last Updated Jul 27, 2019, 1:24 PM IST