चार अगस्त, 1989 को 1, बिहार की अल्फा कंपनी को ऑपरेशन पवन के दौरान श्रीलंका के उत्तरी क्षेत्र में रुगम के जंगलों की खोजबीन करने का जिम्मा दिया गया था।

सिहारी उरांव घामा जवानों की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे। उन्हें घने जंगलों में आतंकियों को खोजकर खत्म करना था। 

सर्च के दौरान गश्ती दल का घातक हथियारों से लैस लिट्टे के चार आतंकियों से सामना हो गया। युवा और बहादुर उरांव घामा ने इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उच्च दर्जे की तेजी दिखाते हुए आतंकियों के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने मौके पर ही दो आतंकियों को ढेर कर दिया। इसके बाद बाकी बचे दो आतंकियों ने तेज गोलीबारी शुरू कर दी। सिपाही उरांव नेअदम्य साहस दिखाते हुए आगे बढ़कर अन्य दो आतंकियों को भी जख्मी कर दिया। बाद में इन दोनों आतंकियों की भी मौत हो गई। 

इस कार्रवाई के दौरान सिपाही उरांव घामा ने अपनी निजी सुरक्षा की परवाह किए बगैर अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया। सिपाही उरांव को उनकी इस बहादुरी के वीर चक्र से सम्मानित किया गया।