बरसात के मौसम में आज ही का दिन था, 7 अगस्त 1965। भारत और पाकिस्तान में जंग छिड़ी थी। नायक रामकुमार तिथवाल सेक्टर के महत्वूर्ण सामरिक लिंक की सुरक्षा में तैनात थे। इन्फेंट्री दल को यहां करालपुर ब्रिज की सुरक्षा में लगाया गया था। 


अचानक से दुश्मन की ओर पुल को नष्ट करने की योजना से हमला कर दिया गया। नायक रामकुमार और उनके साथी पुल की सुरक्षा में चट्टान की तरह जमे रहे। इस दौरान भीषण गोलाबारी में रामकुमार और उनके दल के तमाम सदस्य जख्मी हो गए।


इसी दौरान दुश्मन का एक और दल पुल को नष्ट करने की नीयत से पहुंच गया। सामने दुश्मन की ताकत और अपनी चोट से बेपरवाह वीर नायक रामकुमार डटे रहे और दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए। उनके ज्यादातर सैनिक मारे गए। वो अपने नापाक अभियान में कामयाब नहीं हो सके। नायक रामकुमार ने पुल को नष्ट होने से बचा लिया। जख्मी हालत में इस वीर सपूत ने अदम्य साहस दिखाते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।


करालपुर ब्रिज की सुरक्षा में लगे नायक रामकुमार ने जो साहस, कर्तव्यपरायणता और देश के लिए सर्वोच्च समर्पण दिखाया, उसके लिए उन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।