नई दिल्ली/पटना
बिहार में यूपीए महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा गले की फांस बनता जा रहा है। कांग्रेस राज्य में ज्यादा सीटों पर अड़ी है तो छोटे दल भी ज्यादा सीटों पर नजर गड़ाए हुए हैं। लेकिन इन सबके बीच सबसे ज्यादा बड़ी दिक्कत राजद की है। क्योंकि बिहार में वह इस गठबंधन का मुखिया है।

बिहार मे यूपीए महागठबंधन के नेताओं की दिल्ली में हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। इससे पहले नेताओं की पटना में बैठक हो चुकी है। लेकिन एक बार फिर ये नेता पटना में एक बार फिर बैंठेंगे और इस महीने की 17 तारीख को इस पर कोई सहमति बनेगी। हालांकि बिहार में गठबंधन का मुखिया राजद कांग्रेस को चेतावनी दे चुका है। राजद का कहना है कि कांग्रेस बड़ा दिल दिखाए और अपना अड़ियल रूख छोड़ दे। लेकिन कांग्रेस बिहार में 12 सीटों पर अड़ी है जबकि पहले राजद उसे 10 सीटें देने के पक्ष में था।

दिल्ली में सीट बंटवारे को हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया। ये बैठक करीब 4-5 घंटे चली लेकिन सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति नहीं बन पायी। बिहार में कांग्रेस को 11 सीटों पर मनाने की कोशिश, पार्टी 12 पर अड़ी हुई है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के आवास पर आज हुई बैठक में गठबंधन के नेताओं ने लगभग चार घंटे तक सीटों के बंटवारे को लेकर माथापच्ची की, लेकिन अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच पाए। असल में कांग्रेस के तर्क हैं कि उसने 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के साथ गठबंधन में कांग्रेस पार्टी 12 सीटों पर लड़ा था। लिहाजा सीटें कम करना सही नहीं है। जबकि राजद भी 20 सीटों पर अड़ा हुआ है।

वहीं छोटे दल जीतनराम मांझी की हम, मुकेश साइनी की वीआईपी और उपेन्द्र कुशवाहा तथा वामदलों को सीटों की संख्या को लेकर गतिरोध बना हुआ है। इसके साथ ही ये साफ नहीं हो पाया ह कि कोई सहयोगी दल किस सीट पर चुनाव लड़ेगा। राजद भाकपा माले को एक सीट देने को तैयार था, लेकिन और वामदलों को लेकर बात नहीं बन रही। वहीं राजद बसपा को भी एक सीट देना चाहता है। बुधवार को हुई  बैठक में तेजस्वी यादव, जीतनराम मांझी, मुकेश साइनी, उपेन्द्र कुशवाहा, मदन मोहन झा आदि नेता मौजूद थे। अब माना जा रहा है कि 17 मार्च तक यूपीए महागठबंधन मे सीटों का बंटवारा हो जाएगा।