यूपी शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी की चांद-सितारे लगे हरे झंडे पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से राय मांगी है। रिजवी ने अपनी याचिका में कहा है कि चांद-सितारों वाला हरा झंडा जो धार्मिक स्थानों या मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों के घरों पर टंगा दिखता है, उसका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। ये झंडा पाकिस्तान के मुस्लिम लीग के झंडे से मिलता-जुलता है। जिसकी स्थापना नवाज़ वकार उल-मलिक और मोहम्मद अली जिन्ना ने 1906 में ढाका में की थी और लोग देश के विभाजन के लिए ज़िम्मेदार हैं।
जस्टिस एके सिकरी की अध्यक्षता वाली दो जजों की पीठ ने एडिशनल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा है कि वो केंद्र सरकार का पक्ष अदालत में रखें। देश की आला अदालत ने यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी की जनहित याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने हरे रंग के चांद-सितारों वाले झंडे को पूरे भारत में बैन करने की मांग की थी। रिज़वी की तरफ से यह याचिका 17 अप्रैल को दाखिल की थी।
वसीम रिज़वी की तरफ से दाखिल याचिका में यहां तक कहा गया है कि इस झंडे की वजह से अक्सर सांप्रदायिक तनाव फैलता है,  दो समुदायों के बीच दूरी बढ़ती है। इसलिए इसे बैन कर देना चाहिए। दाखिल याचिका में इस्लाम से इस झंडे के कोई संबंध ना होने का हवाला देते हुए कहा गया है कि पैगम्बर मोहम्मद साहब अपने कारवां में सफेद या काले रंग का झंडा प्रयोग करते थे.