लखनऊ। समाजवादी पार्टी के बागी विधायक और  प्रगतिशील  समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने एक बार सपा को फिर झटका दिया है। सपा ने राज्य में बुलाए गए विशेष सत्र में शामिल न होने का फैसला किया था। लेकिन शिवपाल ने उसमें हिस्सा लिया और कहा कि अब सपा में विलय नहीं बल्कि गठबंधन भी संभव है। लिहाजा शिवपाल के रूख को देखते हुए सपा भी बैकफुट पर आ गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के मौके पर 36 घंटे का विशेष सत्र बुलाया था। जिसका विपक्ष ने विरोध किया था और इसमें शामिल नहीं होने का फैसला किया था। विपक्ष राज्य सरकार के विरोध में गांधी प्रतिमा के पास धरना प्रदर्शन किया वहीं कांग्रेस से इसके लिए पदयात्रा निकाली। लेकिन सपा के विरोध के बावजदू शिवपाल सिंह इस विशेष सत्र में हिस्सा लेन के लिए पहुंचे। सत्र में हिस्सा लेने के बाद शिवपाल सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी में वापसी का समय खत्म हो गया है।

हां अगर वह गठबंधन की पेशकश करते हैं तो प्रसपा सपा के साथ गठबंधन कर सकती है। शिवपाल सिंह के लगातार गठबंधन पर आ रहे बयान के बाद अब सपा बैकफुट पर है। सपा ने विधानसभा अध्यक्ष को शिवपाल की विधानसभा की सदस्यता खत्म करने के लिए पत्र लिखा है। लेकिन इसके बाद से ही सपा शिवपाल के प्रति नरम रूख अपनाए हुए है। सपा ने शिवपाल को पार्टी में विलय का ऑफर भी दिया है। लेकिन शिवपाल परिवार को लेकर नरम तो हैं। लेकिन पार्टी को लेकर नहीं।

शिवपाल बार बार कह रहे हैं कि पार्टी के भीतर साजिशकर्ता हैं और जब तक वह रहेंगे। सपा से किसी भी तरह का गठजोड़ या विलय संभव नहीं है। वहीं शिवपाल सिंह योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर सबको चौंका दिया है। क्योंकि शिवपाल ने पिछले कई दिनों से राज्य में सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन अब शिवपाल का कहना है कि योगी सरकार द्वारा आयोजित ‘इन्वेस्टर्स समिट’ से प्रदेश की छवि बेहतर हुई है, लेकिन प्रदेश में जितना निवेश होना चाहिए उतना अभी नहीं हुआ।

गौरतलब है कि शिवपाल से विपक्ष के फैसले को दरकिनार कर कांग्रेस विधायक अदिति सिंह,बसपा विधायक मो. असलम राईनी और उसके बाद सपा सदस्य शिवपाल यादव ने सत्र में हिस्सा लिया। गौरतलब है कि अदिति सिंह के सत्र में हिस्सा लेने के बाद उन्हें राज्य सरकार वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी है।  जबकि शिवपाल पर राज्य सरकार पहले से ही मेहरबान है।