कभी समाजवादी पार्टी के दिग्गज रहे और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव अब अपने भतीजे और सपा प्रमुख की साइकिल अपनी चाबी से पंचर करेंगे. असल में चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शिवपाल सिंह यादव चाबी का चुनाव चिन्ह दिया है.

शिवपाल पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में है और उनका भी वोट बैंक वहीं है जो सपा का है. लिहाजा सपा ने नाराज वोट बैक शिवपाल की तरफ ही आएगा. हालांकि कांग्रेस और प्रसपा में आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के संकेत मिल रहे हैं. चुनाव आयोग ने ‘‘चाभी’ चुनाव निशान आवंटित कर दिया है. चुनाव चिह्न आवंटित किए जाने के लिए प्रसपा अब इस चिन्ह से चुनाव में उतरेगी. पिछले साल शिवपाल ने औपचारिक तौर पार्टी का गठन किया था.

हालांकि सपा से अध्यक्ष पद से हटा दिए जाने के बाद उन्होंने अनऔपचारिक तौर पर पार्टी का गठन तो कर दिया था और वह राज्य में पार्टी का गठन करने के लिए लगातर दौरे भी कर रहे थे. ऐसा माना जा रहा है कि सपा में अखिलेश के नेतृत्व से नाराज ज्यादातर लोग शिवपाल के साथ आए गए हैं और लोकसभा चुनाव से पहले वह शिवपाल के साथ आ सकते हैं. शिवपाल को सपा में संगठन का कर्ताधर्ता माना जाता था.

जब वह सपा सरकार में मंत्री थे, उनके कार्यालय में कार्यकर्ताओं की भीड़ रहती थी उधर शिवपाल ने कहा कि कहा कि प्रसपा को गठित हुए अभी महज पांच महीने ही हुए हैं और आयोग ने पार्टी के आग्रह को जल्द ही मंजूर कर लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया. उधर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए माना जा रहा है कि शिवपाल कांग्रेस के साथ चुनावी गठजोड़ कर सकते हैं. लेकिन अभी तक दोनों की तरफ से कोई ऐलान नहीं हुआ है. लेकिन इसके संकेत मिल रहे हैं कि दोनों दल चुनाव में एक साथ आ सकते हैं.

 वहीं सपा और बसपा के गठबंधन बन जाने के बाद कांग्रेस राज्य में अकेले चुनाव लड़ रही है. लेकिन उसका जनाधार न होने के कारण कांग्रेस छोटे दलों के गठबंधन कर सकती है. कांग्रेस का साथ गठबंधन पर शिवपाल ने कहा कि कांग्रेस भी एक सेक्युलर पार्टी है और अगर वह भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए हमसे संपर्क करती है तो हम उसका समर्थन करेंगे. शिवपाल ने कहा कि वर्ष 1993 में जब सपा-बसपा का गठबंधन हुआ था, उस वक्त दोनों ही पार्टियों पर कोई आरोप नहीं था और ना ही सीबीआई का कोई डर था.
हालांकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर राज्य में गठबंधन के लिए डोरे डाल रही कांग्रेस को दोनों दलों ने कोई तवज्जो नहीं दी है. जिसके कारण अब कांग्रेस ने अकेले लड़ने का फैसला किया है, हालांकि कांग्रेस शिवपाल सिंह यादव की नई राजनैतिक पार्टी और छोटे दलों के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की योजना बना रही है. असल में कांग्रेस ने शिवपाल को पिछले महीने दिल्ली में महागठबंधन के लिए विपक्षी दलों की बैठक में बुलाया था. इस बैठक में मायावती और अखिलेश यादव को भी बुलाया गया था. लेकिन दोनों नेता इस बैठक में नहीं आए. इसके बाद दो दिन पहले से माना जा रहा था कि कांग्रेस शिवपाल से राजनैतिक गठबंधन करेगी.