शिवराज सिंह आज थोड़ी देर में राज्य में नए मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेंगे। हालांकि माना जा रहा है कि वह अकेले ही शपथ लेंगे और 26 मार्च को कैबिनेट का विस्तार करेंगे। राज्य में कमलनाथ सरकार के इस्तीफा देने के बाद भाजपा की सरकार बनना तय था। लेकिन मुख्यमंत्री के नाम पर पार्टी के भीतर किसी तरह की सहमति नहीं बन पा रही थी। जिसके कारण सीएम के नाम का ऐलान देर से हो सका।
भोपाल।आखिरकार भाजपा ने आज मध्यप्रदेश में सीएम के पद के पद के लिए शिवराज सिंह चौहान के नाम पर मुहर लगा दी। वह आज चौथी बार प्रदेश में सीएम के पद की शपथ लेंगे। आज शाम को विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। जिसका प्रस्ताव मौजूदा विधायक दल के नेता गोपाल भार्गव ने रखा और जिस पर सभी विधायकों ने अपनी सहमति जताई।
शिवराज सिंह आज थोड़ी देर में राज्य में नए मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेंगे। हालांकि माना जा रहा है कि वह अकेले ही शपथ लेंगे और 26 मार्च को कैबिनेट का विस्तार करेंगे। राज्य में कमलनाथ सरकार के इस्तीफा देने के बाद भाजपा की सरकार बनना तय था। लेकिन मुख्यमंत्री के नाम पर पार्टी के भीतर किसी तरह की सहमति नहीं बन पा रही थी। जिसके कारण सीएम के नाम का ऐलान देर से हो सका। अब माना जा रहा है कि राज्य में 26 मार्च को शिवराज सिंह की कैबिनेट का विस्तार होगा। जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को स्थान दिया जाएगा। राज्य में कांग्रेस से इस्तीफा दे कर भाजपा में शामिल होने वाले 22 विधायक फिर से चुनाव लड़ेंगे और राज्य में जून में उपचुनाव होंगे।
माना जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान आज रात 9 बजे चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में आयोजित किया जाएगा। जिसमें राज्यपाल लाल टंडन शिवराज सिंह को शपथ दिलाएंगे। गौरतलब है कि राज्य में 20 मार्च को कांग्रेस सरकार से 22 विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था। गौरतलब है कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने द्वारा कमलनाथ सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद कमलनाथ सरकार के पास बहुतम नहीं था और जिसके बाद राज्य में सियासी संकट आ गया था।
कमलनाथ सरकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया के निष्ठावान विधायकों ने समर्थन लिया था। इससे पहले सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। राज्य में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 206 हो गई थी, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास 92 विधायक थे जबकि भाजपा के पास 107 विधायकों का समर्थन था।
Last Updated Mar 23, 2020, 8:53 PM IST