भोपाल। मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह सरकार ने आज विधानसभा में विश्वासमत हासिल कर लिया है। शिवराज सरकार के पक्ष में कुल 112 मत पड़े। जबकि विपक्ष में एक भी मत नहीं पड़ा। क्योंकि कांग्रेस ने विश्वासमत में हिस्सा नहीं लिया। इसके साथ ही शिवराज सरकार को पांच सपा, बसपा और निदर्लीय विधायकों का भी समर्थन मिला। सोमवार की रात को शिवराज सिंह ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के पद की शपथ राजभवन में ली थी। हालांकि शिवराज सिंह के साथ किसी अन्य मंत्री ने शपथ नहीं ली। लेकिन माना जा रहा है कि आज विश्वासमत हासिल करने के बाद 26 मार्च को राज्य की नई सरकार का कैबिनेट गठन होगा।

राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आज विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। सरकार के समर्थन में 112 मत पड़े। जिसमें भाजपा के 107 और पांच सपा, बसपा और निदर्लीय विधायक हैं। हालांकि कांग्रेस ने विश्वासमत में हिस्सा नहीं लिया। भाजपा के पास सरकार बनाने का पूरा बहुमत था। क्योकि पिछले दिनों कांग्रेस 22 विधायकों इस्तीफा दे दिया था। राज्य विधानसभा का चार दिवसीय विशेष सत्र आज से शुरू हो गया है और इस दौरान तीन बैठकें आयोजित की जाएंगी। राज्य की नई भाजपा सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए वोट भी पेश करेगी, जिसका समापन 27 मार्च को होगा।

मौजूदा सदन में भाजपा के 107 विधायक हैं जबकि 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की ताकत घटकर 92 रह गई और उसके पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है। जानकारी के मुताबिक वर्तमान में विधानसभा की 24 सीटें खाली पड़ी हैं और जिसके बाद, सदन का आकार 206 हो गया है। इसके बाद भाजपा को सरकार बनाने के लिए 104 विधायकों की जरूरत है जबकि भाजपा के पास 107 विधायक हैं।

सोमवार को ही भाजपा ने शिवराज के नाम पर मुहर लगाई थी और विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। विधायकों की बैठक में भाजपा के दिग्गज नेता गोपाल भार्गव ने शिवराज सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा था और जिस पर सभी  विधायकों ने अपनी सहमति जताई थी। हालांकि राज्य में सीएम की दौड़ में कई नाम चल रहे थे, जिसके कारण भाजपा मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी।

माना जा रहा है कि राज्य में 26 मार्च को शिवराज सिंह की कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को अहम जगह दी जाएगी। फिलहाल भाजपा में शामिल होने वाले 22 विधायक फिर से चुनाव लड़ेंगे। गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार विधायकों ने समर्थन लिया था जिसके बाद कमलनाथ सरकार सदन में बहुमत खो चुकी थी।