प्रदर्शन कश्मीर आवामी फोरम की अगुवाई में हो रहे हैं।


प्रदर्शन का दूसरा दौर कुपवाड़ा में दो आतंकवादियों के मारे जाने और अलगाववादियों की तरफ से बुलाए गए बंद के मद्देनजर आयोजित हुआ। सबसे पहले बड़गाम के कनी-ए-दजान गांव में शांति की मांग को लेकर प्रदर्शन हुआ था, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। बड़गाम में ही पवित्र चरार-ए-शरीफ दरगाह है।


कुपवाड़ा के किस्तर लोलाब में एक बार फिर अलगाववाद और आतंकवाद के खिलाफ हजारों लोग इकट्ठे हुए। ये इलाका आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित है। यहां के लोगों ने आतंकवाद, भ्रष्टाचार, अलगाववाद के खिलाफ अपना रोष जाहिर किया। 


आवामी फोरम के प्रवक्ता जीएन परवाना ने कहा कि, “हमारा प्लेटफॉर्म मोहब्बत के पैगाम के लिए है। हम आतंक और भ्रष्टाचार रहित समाज चाहते हैं। ये मुहिम हमनें पवित्र चरार-ए-शरीफ के जिले बड़गाम से शुरू की है। हम सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने का विरोध करते हैं"। 


उन्होंने कहा कि आने वाले समय में आतंक से आजादी के लिए ऐसी सभाएं आयोजित होंगी।


आतंक के खिलाफ हो रहे मार्च में हचमार, टुम्ना, चोकीबल समेत कई गांवों के लोग शामिल हुए। ये सब आतंकवाद के खात्में की मांग कर रहे थे। ये सभी अलगाववादियों के साये से निकलना चाहते हैं।
प्रदर्शनकारियों में बक्करवाला गुर्जर समुदाय के लोग शामिल थे। ये अक्सर सामाजिक अवहेलना के शिकार होते हैं और इन्हें पहाड़ी कम्यूनिटी का कहा जाता है।


आवामी फोरम के अध्यक्ष फारूख अब्दुल गनी है, जो जम्मू-कश्मीर को-ऑर्डिनेशन समिति के भी सदस्य हैं। ये समिति घाटी में शांति के लिए प्रयासरत है।


इसी साल मार्च में जेकेसीसी ने आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर का कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें 12 हजार से ज्यादा कश्मीरी युवक शामिल हुए थे। उस समय शांति के पैगाम को लेकर रविशंकर ने कहा था कि, “पैगाम-ए-मुहब्बत की शुरुआत आम कश्मीरियों के दिल से हो रही है। अगर हम बेकार के मसलों में उलझे रहे तो भला नहीं है। हमें आगे देखना होगा। हमें कश्मीरियों के भविष्य को संवारना होगा”।