-डिप्टी सीएम के पद को ठुकरा दिया था सिंधिया ने

-लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू

मध्य प्रदेश में सत्ता बदलते ही कांग्रेस के अंदर राजनीति शुरू हो गयी है। राज्य में डिप्टी सीएम के पद को ठुकराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद को राज्य संगठन की कमान देने के लिए आलाकमान पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। कमलनाथ के सीएम बनने के बाद ये तो तय है कि राज्य के संगठन की कमान किसी नेता को दी जाएगी। लेकिन कमलनाथ अपने किसी खास को इस पद पर नियुक्त कर सरकार और संगठन के बीच उभरने वाले मतभेदों को खत्म करना चाहते हैं।

राज्य में कमलनाथ के मुख्यमंत्री घोषित होने के साथ ही राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर सियासत तेज हो गई है। राज्य में विधानसभा के दौरान चुनाव अभियान समिति के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया अब इस पद पर नियुक्त होना चाहते हैं। हालांकि कमलनाथ को सीएम पद देने के साथ ही सिंधिया की डिप्टी सीएम के पद के लिए आफर दिया गया था। लेकिन सिंधिया ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। अब सिंधिया आगामी लोकसभा चुनाव में मजबूती से उभरने के लिए राज्य कांग्रेस के संगठन की कमान अपने हाथ में चाहते हैं।

लिहाजा सिंधिया के 20 समर्थक विधायकों ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। साथ ही वे सिंधिया के निवास पर भी गए। साथ ही मुखर होकर आलाकमान से सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग की है। इससे कांग्रेस के भीतर खींचतान बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। असल में कमलनाथ इस पद के लिए किसी अपने खास और विश्वस्त नेता को इस पद पर नियुक्त करना चाहते हैं ताकि भविष्य में संगठन और सरकार के बीच होने वाले टकराव को टाला जा सके। बहरहाल कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के पर हैं। लिहाजा एक व्यक्ति एक पद के फार्मूले को देखते हुए उन्हें ये पद छोड़ने पड़ेगा।

असल में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में पिछड़े सिंधिया के लिए अब प्रदेश अध्यक्ष का पद अहम माना जा रहा है। बहरहाल नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के विधानसभा चुनाव हारने के बाद उनके नाम की भी चर्चा तेज है। इसके साथ ही सुरेश पचौरी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समर्थक भी चाहते हैं कि उन्हें संगठन की कमान दी जाए। कमलनाथ को सीएम बनाने में दिग्विजय सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन तय है कि मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद केंद्रीय स्तर पर जल्द ही पीसीसी अध्यक्ष तय होगा। इसके पीछे बड़ी वजह लोकसभा चुनाव बताया जा रहा है।

ऐसा कहा जा रहा है कि जनवरी तक नया प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस क मिल जाएगा। बहरहाल सिंधिया का दावा इसलिए मजबूत माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ का चयन होने के बाद उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले। हालांकि वे राहुल गांधी के नजदीक भी हैं।