मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई वाली पीठ ने कहा कि यह मजाक बन गया है। वहीं असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पिछले 10 साल में 50,000 से ज्यादा शरणार्थियों को विदेशी घोषित किया गया है। 

सरकार ने कोर्ट को बताया कि विदेशी घोषित किए गए करीब 900 शरणार्थियों को राज्य के 6 हिरासत केंद्रों में रखा गया है। वही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कई सवाल पूछे जैसे कि विदेशी कहां गए? क्या व्यवस्था मशीनरी ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू करने के लिए कार्य कर रही है। 

इस मामले पर 2005 के एक आदेश को याद करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको 2005 में इस अदालत द्वारा पारित आदेश के बारे में पता होगा। उसमें कोर्ट ने कहा था कि असम बाहरी लोगों की आक्रामकता के खतरे का सामना कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र सरकार और असम मामले में क्या किया।
 
दरअसल यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की ओर से दायर की गई है। याचिका में हिरासत केंद्रों और यहां लंबे समय से हिरासत में रखे गए विदेशी नागरिकों की स्थिति को जानने के लिए दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से हिरासत केंद्रों, वहां बंद बंदियों की अवधि और विदेशी नागरिक अधिकरण के समक्ष दायर उनके मामलों की स्थिति को लेकर सरकार से विवरण मांगा था।