नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करारते हुए रद्द कर दिया है। एसबीआई को ऐसे बॉन्डों को जारी नहीं करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ऐसे सभी बॉन्डों की जानकारी चुनाव आयोग को भी देने को कहा है, जो उच्चतम न्यायालय के साल 2019 में दिए गए अंतरिम आदेश के बाद खरीदे गए। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने यह फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

-सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया और चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। 

-बिना नाम के चुनावी बॉन्ड संविधान के सूचना का अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं।

-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक गोपनीयता और संबद्धता का अधिकार भी नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में शामिल है।

-सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर बड़ी बात कही। कहा कि सियासी दलों को फंडिंग देने वालों की पहुंच पॉलिसी बनाने तक हो जाती है। यह सांठगांठ की तरह।

-चुनावी प्रक्रिया में सियासी दल इकाइयों के तौर पर हैं। चुनावी विकल्पों के लिए जरुरी है कि सियासी दलों की फंडिंग की जानकारी हो।

-एसबीआई समेत तमाम बैंकों को चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक।

-सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि 12 अप्रैल 2019 से अब तक परचेज चुनावी बॉन्ड का डिटेल चुनाव आयोग को दिया जाए।

-एसबीआई से यह भी कहा गया है कि वह चुनाव आयोग को बताए कि 12 अप्रैल 2019 से चुनावी बॉन्ड के जरिए पैसा मिला है।

-जाहिर सी बात है कि सियासी दलों ने चुनावी बॉन्डों को भुनाया भी होगा। एसबीआई को हर बॉन्ड का पूरा विवरण भी देने के निर्देश दिए हैं।

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