नयी दिल्ली— सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग से जनता का हित जुड़ा हुआ है और इससे कोर्ट की प्रक्रियाओं में भी पारदर्शिता आएगी।

उच्चतम न्यायालय अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण और उसकी वीडियो रिकार्डिंग के लिये बुधवार को सहमत हो गया और उसने टिप्पणी की, ‘‘कीटाणुओं के नाश के लिये सूरज की रोशनी बेहतरीन है।’’ 

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह जनता के अधिकारों में संतुलन बनाने और वादकारियों की गरिमा की रक्षा के लिये शीघ्र ही आवश्यक नियम तैयार करेगी। पीठ ने कहा, ‘‘कीटाणुओं के नाश के लिये सूरज की रोशनी बेहतरीन है।’’ 

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति खानविलकर ने इस संबंध में एक फैसला सुनाया जबकि न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने सहमति व्यक्त करते हुये अलग फैसला सुनाया। 

पीठ ने कहा कि अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण ‘‘जनता का जानने का अधिकार’’ पूरा होगा और यह न्यायिक कार्यवाही में पहले से अधिक पारदर्शिता लायेगा।

शीर्ष अदालत ने न्यायिक कार्यवाही के सीधे प्रसारण और इसकी वीडियो रिकार्डिंग के लिये कानून की छात्रा स्नेहिल त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह तथा गैर सरकारी संगठन ‘सेन्टर फार अकाउण्टेबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेन्ज’ की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है। 

बता दें कि अटॉर्नी जनरल  केके वेणुगोपाल ने इसे लागू करने के लिए कुछ सुझाव दिए थे। उन्होंने कहा था कि लाइव स्ट्रीमिंग को 70 सेकेंड की देरी से शुरू किया जाना चाहिए ताकि वकील अगर गलत व्यवहार करता है या मामला गंभीर होता होता है तो बेंच स्ट्रीमिंग का साउंड बंद कर सके।