सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि कंपनियों को किए गए रकम के हर एक लेनदेन की जानकारी के साथ-साथ ग्रुप के निदेशक, आंतरिक ऑडिटर्स, सीएफओ की निजी, परिजन और पारिवारिक सम्पत्ति जो अपने, परिजनों के या बदले हुए नामों से दिल्ली एनसीआर, देश या दुनिया के किसी भी हिस्से में बनाई हो उसका ब्यौरा दें। इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी। 

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप को एक और बड़ा झटका देते हुए आम्रपाली के ग्रेटर नोएडा स्थित अस्पताल को नीलाम करने का आदेश दिया था। साथ ही आम्रपाली की गोवा प्रॉपर्टी, कॉरपोरेट टावर को भी नीलाम करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने बैंक खातों, कार्यालय तथा फर्मों की इमारत और एक गोवा स्थित ‘बेनामी' विला को कुर्क करने का आदेश दिया था। 

इतना ही नही कोर्ट ने रियल इस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह द्वारा के कोर्ट के आदेश का अवहेलना करने पर आड़े हाथ लिया था। कोर्ट ने कहा था घर खरीदारों के पैसों को एक कंपनी से दूसरी कंपनी में ट्रांसफर करके बड़ी धोखाधड़ी की है। 

कोर्ट ने कंपनी के मुख्य वित्त अधिकारी चंदर वाधवा को तीन सप्ताह के भीतर 11.69 करोड़ रुपये कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश दिया था। साथ ही ऑडिटर अनिल मित्तल को 47 लाख रुपये अदा करने का आदेश दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान फोरेंसिक ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया था कि आम्रपाली ने 2010 से कई कंपनियां बनाई ताकि कंपनी अधिनियम के प्रावधानों को नियमों को ताक पर रख कर एक परियोजना से दूसरी परियोजना में पैसे ट्रांसफर किये।