पाकिस्तानी फौज अब तक सर्जिकल स्ट्राइक के सदमे से उबर नहीं पाई है। उसे इस बात का डर सता रहा है कि भारतीय सेना नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार फिर कार्रवाई कर सकती है। भारतीय सेना ने वर्ष 2016 में एक अभूतपूर्व कार्रवाई में नियंत्रण रेखा पार जाकर पाक के कब्जे वाले कश्मीर में चल रहे आतंकी लांच पैड्स को निशाना बनाया था। इसी डर के चलते चुनावी ड्यूटी के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों की जरूरत होने के बावजूद पाकिस्तान ने भारतीय सीमा से सैनिकों की संख्या में कटौती नहीं की है। पाकिस्तान में 25 जुलाई को मतदान होना है। 

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि पाकिस्तानी सेना ने बड़ी संख्या में रिटायर्ड सैन्यकर्मियों को चुनावी ड्यूटी में लगाया है। पाकिस्तानी रेंजर्स या नियमित सेना को सीमा से नहीं हटाया गया है। 

सूत्रों ने कहा, हम उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि उनकी कोई भी यूनिट सीमा से नहीं हटी है। इससे लगता है कि लंबे समय से सीमा पर खामोशी के बावजूद पाकिस्तानी सेना अपने पूर्वी मोर्चे पर जवानों को कम नहीं करना चाहती। 

पाकिस्तान में आम चुनाव सेना की देखरेख में हो रहे हैं। इस दौरान शांति बनाए रखने का जिम्मा फौज पर है। पाकिस्तान की सियासत, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाक सेना का दखल किसी से छिपा नहीं हैं। आम धारणा यही है कि पाक में हो रहे चुनावों में छेड़छाड़ हो सकती है और सेना अगले प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी पसंद के किसी आदमी को बैठाना चाहती है। 

सितंबर, 2016 में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने उड़ी में भारतीय सेना के शिविर पर हमला कर 20 जवानों को शहीद कर दिया था। भारत ने इस हमले का बदला लेने के लिए नियंत्रण रेखा के पार जाकर एक बड़े हिस्से में फैले आतंकी लांच पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की। 

इस कार्रवाई के बाद काफी लंबे समय तक नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के कुछ हिस्सों में हालात अशांत बने रहे। हालांकि पिछले एक महीने से ज्यादा समय से सीमा पर शांति है। सीजफायर उल्लंघन की भी इक्कादुक्का घटनाएं हुई हैं।