ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस तेलंगाना में अब अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है। महज एक महीने के दौरान पार्टी के 10 विधायकों ने पार्टी का हाथ छोड़ दिया है जबकि पार्टी को छोड़ने वाले नेताओं की फेहरिस्त काफी लंबी है। राज्य में पार्टी के 19 विधायकों में से 10 विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है।

तेलंगाना राज्य में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। राज्य में ज्यादातर नेता पार्टी छोड़कर टीआरएस का दामन थाम रहे हैं। राज्य में पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुनीता लक्ष्मा रेड्डी ने पार्टी को छोड़कर टीआरएस का दामन थाम लिया है। अभी तक राज्य में पार्टी के 19 विधायकों में से 10 विधायकों ने टीआरएस का दामन थाम लिया है। जबकि राज्य के वरिष्ठ मंत्री हैं, जिन्होंने पार्टी का दामन थामा है। राज्य में पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की फेहरिस्त लंबी है।

पार्टी को रोज झटके मिल रहे हैं क्योंकि रोज कोई न कोई नेता पार्टी को छोड़ रहा है। सोमवार को ही पार्टी की नेता और पूर्व मंत्री सुनीता लक्ष्मा रेड्डी सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति शामिल हो गईं। सुनीता लक्ष्मा रेड्डी ने टीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामा राव की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। अगर देखें तो तेलंगाना में मार्च की शुरूआत से कांग्रेस के कुल 19 में से 10 विधायकों ने पार्टी को छोड़कर कर टीआरएस का दामन थामा है। हालांकि पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भी पार्टी की स्थिति बेहतर नहीं है। क्योंकि वहां पर भी कांग्रेस के विधायक और नेता पार्टी को छोड़कर जगन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस में जा रहे हैं।

गौरतलब है कि सोमवार को तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अनुशासन कमेटी ने कई नेताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया था। जिसें पूर्व मंत्री सुनीता लक्ष्मा रेड्डी का नाम भी शामिल है। वहीं कमेटी ने पूर्व विधायक और नलगोंडा जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बिक्षमय्या गौड़ और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव पल्ले लक्ष्मन कुमार गौड़ को भी पार्टी से निलंबित कर दिया था।