तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब भाजपा ने फिर उच्च वर्ग खासतौर से ब्राह्मणों को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए साधना शुरू कर दिया है। भाजपा ने मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है ताकि भाजपा से नाराज चल रहे ब्राह्मण वोटरों की नाराजगी को दूर किया जा सके।
तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब भाजपा ने फिर उच्च वर्ग खासतौर से ब्राह्मणों को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए साधना शुरू कर दिया है। भाजपा ने मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा को उत्तर प्रदेश का सह प्रभारी बनाया है ताकि भाजपा से नाराज चल रहे ब्राह्मण वोटरों की नाराजगी को दूर किया जा सके और फिर से यूपी फतह कर केन्द्र में सरकार बनाने का रास्ता साफ किया जा सके।
आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा ये मानकर चल रही है कि विपक्षी दलों से उसे टक्कर मिलेगी। खासतौर से उत्तर प्रदेश में जहां पिछली बार भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन कर राज्य की 80 सीटों में से 73 सीटे जीती थी। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी में सपा तथा बसपा के संभावित गठबंधन से कठिन चुनौती मिलने के आसार हैं। लिहाजा भाजपा ने फिर ब्राह्मण वोटों को साधना शुरू कर दिया है।
हालांकि प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे ब्राह्मण हैं। लेकिन अपने समर्थकों को और ज्यादा महत्व देने के लिए मिश्रा को राज्य का प्रभारी नियुक्त किया है। इससे पहले राज्य के प्रभारी ओम माथुर थे। लेकिन राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद माथुर ने राज्य में रूचि लेना बंद कर दिया था। हालांकि भूपेन्द्र यादव को अघोषित तौर पर प्रभारी नियुक्त किया था। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दी है।
बुधवार को पार्टी ने प्रदेश प्रभारियों की नियुक्ति कर दी। इन प्रभारियों में एक नाम मध्यप्रदेश के बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा का भी है। उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, जहां लोकसभा की 80 सीटें हैं। मिश्रा राज्य में भाजपा के कद्दावर नेता माने जाते हैं और वह वर्तमान में दतिया से भाजपा के विधायक हैं। मिश्रा पहली बार 1990 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा के लिए चुने गए थे और उसके बाद 1998, 2003, 2008 और 2013 में फिर विधानसभा के लिए चुने गए और शिवराज सिंह सरकार में मंत्री रहे।
असल में राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा को कई सीटों पर हार बहुत कम मतों से मिली है और ऐसा माना जा रहा है कि उच्च वर्ग ने भाजपा को सबक सीखाने के लिए उसे वोट नहीं दिया। जिसके कारण इन दोनों राज्यों में उसे हार का सामना देखना पड़ा। लिहाजा भाजपा उत्तर प्रदेश में ये गलती नहीं करना चाहती है। लोकसभा चुनाव के लिहाज़ से 80 सीटों वाला उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है, जिसने यूपी जीत लिया उसके लिए सत्ता तक पहुंचने की राह आसान हो जाती है।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में पिछला लोकसभा चुनाव अपना दल के साथ लड़ा था। तीन राज्यों में हार के बाद अब बीजेपी लोकसभा चुनाव में बाज़ी नहीं हारना चाहती। इसी को ध्यान में रखकर उसने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। उसने राज्यों के लिए प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। इनमें यूपी सबसे महत्वपूर्ण है. यूपी के लिए पार्टी ने तीन प्रभारी नियुक्त किए हैं। उनमें से एक नाम मध्य प्रदेश के कद्दावर बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा का है। वे शिवराज कैबिनेट में लगातार मंत्री रहे हैं।
यूपी जैसे राज्य के लिए नरोत्तम को चुना जाना अपने आप में महत्वपूर्ण है. उन पर विश्वास करने की वजह यह मानी जा रही है कि वे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. पार्टी अध्यक्ष के करीबी होने का उन्हें फायदा मिला है. दूसरा बड़ा कारण उनका ब्राह्मण होना है. बीजेपी की नज़र यूपी के ब्राह्मण वोटों पर है. जातिगत समीकरण समझने और फिर उन्हें साधने के लिए ब्राह्मण नेता का होना ज़रूरी है.
भाजपा को सपा तथा बसपा के संभावित गठबंधन से कठिन चुनौती मिलने के आसार हैं. यही वजह है कि ब्राह्मण वोटरों को साधने में नरोत्तम मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मिश्रा ने 1977-78 में छात्र जीवन से की। मिश्रा को 2005 में मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री का पद मिला औऱ उसके बाद शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में मंत्री बनाए गए और उसके बाद 15 साल तक लगातार कैबिनेट मंत्री रहे।
Last Updated Dec 27, 2018, 7:44 AM IST