मुंबई। महाराष्ट्र में अभी तक भाजपा और शिवसेना के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सकता है। लेकिन इस बंटवारे से पहले ही शिवसेना में नेताओं के बीच जंग शुरू हो गई है। राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के कई नेता अभी भाजपा और शिवसेना का दामन थामने को तैयार हैं। लेकिन इन एनसीपी और कांग्रेस से आए नेताओं और पुराने नेताओं के बीच बाहरी और भीतरी की जंग हो गई है। जिसके कारण पार्टी नेतृत्व परेशान है।

असल में चुनाव की आहट से पहले ही राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के कई दिग्गज नेता शिवसेना में शामिल हुए हैं। इन नेताओं को उम्मीद है कि चुनाव में उन्हें टिकट मिलेगा। लिहाजा अपने अपने क्षेत्र में इन नेताओं ने पोस्टर बैनर के जरिए अपने को शिवसैनिक घोषित करना शुरू कर दिया है। जबकि क्षेत्र के पुराने नेता पहले से ही शिवसैनिक हैं और काउंटर पोस्टर लगाकर जनता को बता रहे हैं कि असली शिवसैनिक वह हैं।

पुराने नेता पिछले पांच साल से स्थानीय स्तर पर अपने को स्थापित करने में जुटे हैं। लेकिन अब बाहरी नेताओं के पक्का शिव सैनिक बन जाने के कारण उनकी दावेदारी कमजोर हो रही है। लिहाजा बाहरी नेताओं के विरोध में ज्यादातर नेता अपनी नाराजगी जता रहे हैं। लिहाजा कोई तोड़ पार्टी नेतृत्व के पास नहीं है। क्योंकि विरोध कई जगहों पर हो रहा है। हाल ही में नासिक से सटे इगतपुरी में कांग्रेस के नेता के शिवसेना में शामिल होने के बाद स्थानीय स्तर पर शिव सैनिकों ने उनका विरोध किया है।

दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुनीं गईं निर्मला गावित  अब शिव सैनिक हो चुकी हैं। लेकिन अब उनका स्थानीय शिव सैनिक विरोध कर रहे हैं। इगतपुरी में निर्मला के खिलाफ पोस्टर लगे हैं और जिस पर लिखा है कि ''सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को.'' निर्मला के शिवसेना में शामिल होने के बाद पार्टी के पूर्व विधायक नाराज हैं। क्योंकि इससे उनके टिकट काटे जाने का खतरा बढ़ गया है। वहीं
कांग्रेस और एनसीपी से करीब 30 दिग्गज नेता भाजपा और शिवसेना में शामिल हो चुके  हैं।

जिसमें एनसीपी के मुंबई प्रमुख सचिन अहिर, चिपलून से एनसीपी के विधायक भाष्कर जाधव और शाहपुर से एनसीपी विधायक पांडुरंग बलोरा शिवसेना में शामिल हुए हैं। असल में विरोधी पार्टियों को तोड़कर शिवसेना में शामिल कराने का फैसला पार्टी नेतृत्व के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। वहीं भाजपा और शिवसेना  के बीच नारायण राणे को भी लेकर तनातनी चल रही है।