विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिल्ली कांग्रेस में इकाई के बड़े पैमाने पर होने की संभावना है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। कांग्रेस में महज तीन प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाए। लिहाजा कांग्रेस का अब तक का दिल्ली में खराब प्रदर्शन है। हालांकि हार के बाद भी पार्टी में गुटबाजी देखी जा रही है। क्योंकि पीसी चाको ने हार के बाद कहा कि दिल्ली में पार्टी को कमजोर करने में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अहम भूमिका रही थी।
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन से पार्टी आलाकमान सकते है। हालांकि अन्य राजनैतिक दल आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस ने अपने वोटबैंक आप को जिताने के लिए ट्रांसफर कर दिया है। लेकिन कई सालों तक दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस की ये दुर्गति होगी, ये कांग्रेस आलाकमान ने कभी नहीं सोचा था। लिहाजा माना जा रहा है कि अब कांग्रेस आलाकमान अब दिल्ली में बदलाव करेगी। लेकिन सवाल है कि कांग्रेस में जिम्मेदारी किसे दी जाएगी। जो कांग्रेस को फिर से दिल्ली में स्थापित कर सके।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद दिल्ली कांग्रेस में इकाई के बड़े पैमाने पर होने की संभावना है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। कांग्रेस में महज तीन प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाए। लिहाजा कांग्रेस का अब तक का दिल्ली में खराब प्रदर्शन है। हालांकि हार के बाद भी पार्टी में गुटबाजी देखी जा रही है। क्योंकि पीसी चाको ने हार के बाद कहा कि दिल्ली में पार्टी को कमजोर करने में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अहम भूमिका रही थी।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की मृत्यु के बाद अक्टूबर में अनुभवी नेता सुभाष चोपड़ा को नियुक्त किया था। लेकिन वो भी चुनावों में काफी कुछ नहीं कर सके। जबकि क्रिकेटर से राजनेता और पूर्व भाजपा नेता कीर्ति आज़ाद को भी पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख बनाया गया। लेकिन उनकी पत्नी भी चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा पाई। हालांकि कांग्रेस ने दिल्ली में 40 स्टार प्रचारकों की सूची तैयार की थी।
लेकिन प्रचार तो दूर ज्यादातर प्रचारक दिल्ली चुनाव में दिखाई ही नहीं दिए। माना जा रहा है कि पीसी चाको, सुभाष चोपडा के बाद अब क्रीर्ति आजाद इस्तीफा दे सकते हैं।अजय माकन के स्वास्थ्य के आधार पर इस्तीफा देने के बाद दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था।
हालांकि चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान ने साफ किया था कि दिग्गज नेताओं अपनी मनपसंद सीटों से टिकट दिया जाएगा। लेकिन कुछ नेताओं को उनकी सीट से टिकट नहीं दिया गया जबकि कुछ दिग्गजों ने हार की डर से चुनाव में हिस्सा तक नहीं लिया है। जेपी अग्रवाल चांदनी चौक से टिकट चाह रहे थे। लेकिन पार्टी ने अलका लांबा को टिकट दिया जबकि अजय माकन के पर पार्टी दबाव बना रही थी। लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ से ही मना कर दिया।
Last Updated Feb 12, 2020, 7:59 PM IST