कर्नाटक में भाजपा सरकार बनाने जा रही है। 14 महीने बाद भाजपा राज्य की सत्ता पर फिर काबिज हो रही है। ये तय है कि सरकार बनाने में मुख्य नायक पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य भाजपा के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा रहे।

लिहाजा वह चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने की राह पर हैं। लेकिन पार्टी में अब फार्मूले पर भी सवाल उठने शुरू हो गए, जिसके लागू हो जाने से लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुमित्रा महाजन जैसे दिग्गजों को सक्रिय राजनीति से बाहर होना पड़ा। क्या ये फार्मूले येदियुरप्पा पर लागू नहीं होगा। क्योंकि वह 76 साल के होने जा रहे हैं।

असल में केन्द्र में 2014 में भाजपा की सरकार बन जा  के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी और पार्टी ने ये तय किया था कि जो नेता 75 वर्ष के हो जाएंगे, उन्हें किसी मंत्री या फिर अन्य पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। एक तरह से रिटायर हो जाएंगे। इस फार्मूले के लागू हो जाने के बाद कई नेताओं को अहम पदों से बाहर कर दिया गया।

मोदी-वन, सरकार में किसी भी 75 से ज्यादा वाले सांसद  को मंत्री नहीं बनाया गया था और मोदी-2 से पहले हुए लोकसभा चुनाव में इन्हें लोकसभा का टिकट भी नहीं दिया गया था। हालांकि इसको लेकर नेताओं ने नाराजगी भी दिखाई लेकिन पार्टी ने साफ कर दिया था की ये फार्मूला सब पर लागू होगा।

इस फार्मूले के तहत लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुमित्रा महाजन को लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया था। लेकिन अब कर्नाटक में भाजपा फिर से सरकार बनाने जा रही है। जबकि येदियुरप्पा भी इस फार्मूले की जद में हैं। लेकिन पार्टी इस फार्मूले को उन पर लागू नहीं कर रही है।

इसको लेकर अब पार्टी में ही सवाल उठने शुरू हो गये हैं। असल में कर्नाटक में येदियुरप्पा के अलावा ऐसा कोई नेता नहीं जो पार्टी को वहां पर खड़ा कर सके और इसके साथ ही दक्षिण के राज्यों में भाजपा को आगे बढ़ा सके। लिहाजा 76 साल के येदियुरप्पा को दरकिनार कर पार्टी कोई बढ़ा रिस्क नहीं लेना चाहती है।

येदियुरप्पा की अगुवाई में पार्टी ने राज्य में 25 लोकसभा सीटों पर विजय हासिल की। जबकि राज्य में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार थी। ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व इस मामले में सभी पहलूओं को ध्यान में रखकर आगे की रणनीति बना रहा है।