नई दिल्ली। हरियाणा में कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर आज फैसला होगा कि वह कांग्रेस में रहेंगे या फिर बागी होगा कांग्रेस से अलग होंगे। हालांकि ये फैसले हुड्डा द्वारा बनाई गई कमेटी करेगी। इसमें कांग्रेस आलाकमान की कोई भूमिका नहीं है और न ही कांग्रेस ने कमेटी को बनाया है। फिलहाल कांग्रेस आलाकमान इसे हुड्डा की दबाव की राजनीति मान रहा है।

फिलहाल कुछ दिन पहले हुड्डा ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। जिसमें उन्होंने सोनिया को साफ बता दिया था कि वह राज्य में कांग्रेस की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं और किसी अन्य का नेतृत्व स्वीकार नहीं करेंगे।

फिलहाल अभी तक कांग्रेस आलाकमान ने हुड्डा के रूख पर चुप्पी साधी हुई है। हुड्डा ने कई मसलों को लेकर अपनी ही पार्टी को कठघरे में खड़ा कर दिया है। रोहतक में 18 अगस्त हुई रैली के दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि कांग्रेस अपने रास्ते से भटक गयी है और उन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन किया था।

हालांकि इसके बाद हुड्डा राजीव गांधी की जन्मदिवस के मौके पर भी गए थे जहां सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे। इसके बाद हुड्डा ने सोनिया गांधी मुलाकात की। असल में हुड्डा आने वाले विधानसभा चुनावों की कमान अपने हाथ में रखना चाहते हैं और वह मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अशोक तवंर के धुर विरोधी हैं। जिसके बाद माना जा रहा पार्टी हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर नियुक्त नहीं करेगी। वह किसी ऐसे चेहरे की तलाश में है। जो निर्विवाद हो और तंवर और हुड्डा गुट का न हो।

आज हुड्डा पर उनकी बनाई गई 33 सदस्यों की कमेटी फैसला करेगी कि हुड्डा के कांग्रेस के साथ राजनीति करेंगे या पार्टी से अलग होकर हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतरेंगे। इस कमेटी का गठन हुड्डा ने रोहतक की रैली में किया था। ये सभी सदस्य आज बिट्ठल भाई पटेल हाउस दिल्ली के स्पीकर हॉल में बैठक कर अपना फैसला हुड्डा को सुनाएंगे।

राज्य के दो बार सीएम रह चुके भूपेन्द्र सिंह हुड्डा चाहते हैं कि हरियाणा में उन्हें फिर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जाए और पार्टी का नेतृत्व भी उनके हाथ में रहे। यही इसके अलावा हुड्डा ये भी चाहते है कि अगर पार्टी उनके हाथ में प्रदेश की कमान नहीं देती है तो उनके पसंद के नेता को अध्यक्ष बनाया जाए।