मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाने वाला तीन तलाक विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। उधर, कांग्रेस का कहना है कि वह वर्तमान स्वरूप में इस विधेयक को पारित नहीं होने देगी। वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने ऊपरी सदन में व्हिप जारी करके अपने सदस्यों से उपस्थित रहने को कहा है।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ऊपरी सदन में इस विधेयक को पेश करेंगे। विधेयक को बृहस्पतिवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच लोकसभा द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। विधेयक के पक्ष में 245 जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े थे। प्रसाद ने शुक्रवार को दावा किया था कि भले ही राज्यसभा में भाजपा नीत राजग के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं हो लेकिन सदन में इस विधेयक को समर्थन मिलेगा।

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विधेयक को सोमवार को राज्यसभा के विधायी एजेंडे में शामिल किया गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) महासचिव के सी वेणुगोपाल ने शनिवार को कोच्चि में कहा कि पार्टी अन्य के साथ हाथ मिलाकर विधेयक को सदन में पारित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि 10 विपक्षी दल लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 के खिलाफ खुलकर सामने आए थे।

वेणुगोपाल ने कहा कि यहां तक कि अन्नाद्रमुक सहित जो दल विभिन्न मुद्दों पर सरकार का समर्थन करते हैं उन्होंने भी विधेयक का विरोध किया। विपक्ष ने तीन तलाक विधेयक के मजबूत प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष इस विधेयक पर और गौर करने के लिए इसे संसद की ‘संयुक्त प्रवर समिति’ के पास भेजने की मांग कर रहा है। प्रस्तावित कानून में, एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी ठहराया गया है और ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास का प्रावधान है।