केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को आज राज्यसभा में बड़ी जीत मिली है। आज राज्यसभा में तीन तलाक बिल को मंजूरी मिल गयी है। जिसके बाद अब ये बिल राष्ट्रपति के पास कानून बनने के लिए भेजा जाएगा। राज्यसभा में इस बिल के विरोध में 84 मत पड़े जबकि इस बिल के पक्ष में 99 मत पड़े।

जिसके बाद ये बिल राज्यसभा से पारित हो गया है। इसे केन्द्र की मोदी सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। साथ ही उन मुस्लिम महिलाओं की भी ये बड़ी जीत है, जिन्होंने इसके लिए एक बड़ी लड़ाई थी।

तीन बार राज्यसभा में खारिज किए जा चुके मुस्लिम महिला (शादी पर अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक, 2019 को आज आखिरकार राज्यसभा से भी मंजूरी मिली मिल गयी है। हालांकि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं था लेकिन उसने एक बेहतर रणनीति बनाकर इस बिल को पारित करा लिया है।

लोकसभा में ये बिल भारी मतों के साथ पारित हो गया था। इसके लिए केन्द्र सरकार की बेहतर रणनीति कारगर साबित हुई है। जिसके कारण विपक्ष पूरी तरह से अलग थलग पड़ गया है। फिलहाल आज राज्यसभा इस बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ही ये बिल लोकसभा में पास हुआ था और सरकार के सामने इसे राज्यसभा में पारित कराने की बड़ी चुनौती थी। ये बिल पहले भी दो बार राज्यसभा में पेश हुआ था, लेकिन भाजपा सरकार के पास बहुमत न होने के कारण ये मंजूर नहीं हो सका और ये कानून नहीं बन सका।

आज राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि 20 से ज्यादा देशों में तीन तलाक प्रतिबंधित है और इसे देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। ये एक सामाजिक कुरीति है। 

क्या है कानून में

इस बिल के राज्यसभा से पारित हो जाने के बाद अब तीन तलाक देने पर आरोपी को तीन साल की जेल होगी। यही नहीं जिस महिला को तलाक दिया गया है उसके भरण पोषण के लिए खर्चा भी देना होगा। जबकि पहले तलाक देने के लिए तीन बार में तलाक बोल दिया जाता था। वहीं महिला को हर्जाना भी नहीं मिलता था।

विपक्ष के तमाम आरोपों और विरोधों के बाद आज केन्द्र सरकार राज्यसभा में तीन तलाक को बिल को पेश किया। हालांकि संख्याबल तो सरकार के पक्ष में नहीं था। लेकिन सरकार को उम्मीद है कि इस बार ये बिल राज्यसभा से पारित हो जाएगा।

ये बिल तीन बार लोकसभा से पास हो चुका है। अब इसको राज्यसभा से पारित कराने की बड़ी चुनौती सरकार के पास था। आज भाजपा ने अपने सभी सांसदों से लोकसभा और राज्यसभा का व्हिप जारी कर मौजूद रहने के लिए कहा था।

इन दलों पर लगी थी सरकार की नजर

केन्द्र की भाजपा सरकार को हालांकि इस बिल के अपने सहयोगी जदयू का भी साथ नहीं मिल रहा था। लेकिन उसे परोक्ष तौर से बीजू जनता दल, तेलंगाना राष्ट्र समिति(टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन मिल रहा है।

लिहाजा आज बीजेडी ने राज्यसभा में इसके लिए भाजपा का साथ दिया। सरकार की रणनीति के तहत ये दल सदन में गैरमौजूद नहीं रहेंगे और जिसके बाद सांसदों की संख्या के आधार पर इस बिल को राज्यसभा से पास करा लिया गया। वहीं बीजेडी सदन में मौजूद थी।

क्या है राज्यसभा का गणित

राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 99 मत पड़े वहीं विपक्ष में 84 मत। जिससे साफ है कि केन्द्र सरकार की रणनीति काम कर गयी। इस वक्त सदस्यों की संख्या 240 है। लिहाजा इस बिल को पारित करने में 121 सदस्यों की जरूरत थी। लेकिन ज्यादातर सदस्यों के सदन में न रहने के कारण ये बिल भारी मतों से पारित हो गया।