नई दिल्ली: कांग्रेस, जेडीयू और टीएमसी के वॉक आउट के बीच लोकसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया। लोकसभा ने गुरुवार को लंबी बहस के बाद इस बिल को मंजूरी दे दी। संशोधन के लिए लाए गए विपक्षी सांसदों के प्रस्ताव गिर गए और यह बिल ध्वनिमत से पारित हो गया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तीन तलाक बिल लोकसभा से पास हुआ था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। समयावधि पूरी होने के कारण इसे फिर से लोकसभा में पास कराने की जरुरत पड़ी। 

तीन तलाक कानून पास होने के बाद हुए यह बदलाव
 तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत रद्द और गैर कानूनी 
 तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध माना जाएगा, पुलिस अधिकारी बिना वारंट करेगा गिरफ़्तार
 तीन साल तक की मिलेगी सजा
 लेकिन यह तभी लागू होजा खुद महिला या फिर उसका कोई सगा-संबंधी शिकायत करे
 मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुन लिया जाए और मजिस्ट्रेट को लगे कि जमानत का आधार है.

सुप्रीम कोर्ट भी ठहरा चुकी है असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने भी दो साल पहले 2017 अगस्त में शायरा बानो केस में तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। जिसके बाद सरकार ने तीन तलाक को लेकर अध्यादेश जारी किया था।  मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी तीन तलाक बिल को लोकसभा की मंजूरी मिल गई थी लेकिन राज्यसभा से इसे मंजूरी नहीं मिली थी। 

तीन तलाक धार्मिक से ज्यादा महिला अधिकार का मामला
तीन तलाक बिल पर लोकसभा में बहस के दौरान सरकार की तरफ से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तर्क दिया कि  यह मसला न धर्म का है, न इबादत का, न सियासत का, न वोट का, बल्कि यह मसला नारी के साथ न्याय का है। उन्होंने कांग्रेस को राजीव गांधी के समय के शाहबानो मामले कि याद दिलाई कि कैसे 1986 में शाह बानो केस में अगर वोट बैंक पॉलिटिक्स को लेकर कांग्रेस के पांव नहीं हिले होते तो आज हमें इस बिल को भी लाने की जरूरत नहीं पड़ती। 

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह नरेंद्र मोदी सरकार में कानून मंत्री हैं, राजीव गांधी सरकार के कानून मंत्री नहीं और वह मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय के पक्ष में खड़े रहेंगे। 

पैगंबर मुहम्मद भी तीन तलाक को गलत मानते थे
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'वोट की राजनीति को लेकर बिल का विरोध किया जा रहा है। अगर 20 से ज्यादा इस्लामिक देशों में तीन तलाक प्रतिबंधित है, जहां शरिया है वहां इस पर प्रतिबंध है तो हम तो सेक्युलर कंट्री हैं तो यहां क्यों नहीं?' 
कानून मंत्री ने आगे कहा, 'मुझे लगता था कि ओवैसी साहब को इस्लाम की बहुत अच्छी जानकारी है। लेकिन जब पैगंबर साहब तलाक-ए-बिद्दत को गलत मानते थे तो इस बिल का विरोध क्यों किया जा रहा है।' 

मुस्लिम विरोधी नहीं है भाजपा
रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'कहा जा रहा है कि मुस्लिमों को टारगेट किया जा रहा है। हमें अल्पसंख्यकों का वोट कम मिलता है लेकिन हम जब भी जीतते हैं तो सबका साथ, सबका विकास की राह पर चलते हैं। चाय बागान में काम करने वाले करीमुल हक को हम पद्मश्री देते हैं, उस वक्त उसका मजहब नहीं देखते।.... हम सियासी नफा-नुकसान सोचकर कोई कदम नहीं उठाते।'