जम्मू-कश्मीर में जेल से युवाओं को आतंकवाद का प्रशिक्षण दिलाने के लिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भेजने का खेल चल रहा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा मंगलवार को जम्मू की आम फलों जेल के डिप्टी जेल अधीक्षक फिरोज अहमद लोन और इशाक पल्ला को गिरफ्तार किए जाने के बाद यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बुधवार को एनआईए ने लोन को विशेष जज के समक्ष पेश किया, जहां से डिप्टी जेलर को सात सितंबर तक के लिए एनआईए की कस्टडी में भेज दिया गया। वहीं इशाक पल्ला को मंगलवार को ही 10 दिन के लिए एनआईए की रिमांड पर भेजा गया है। 

ये दोनों गिरफ्तारियां धारा 120 बी आरपीसी और धारा 13, 18 और 18 बी के तहत हुई हैं। डिप्टी जेलर फिरोज अहमद लोन पर आरोप है कि उन्होंने कुछ युवाओं की जेल में बंद इशाक पल्ला से मुलाकात करवाई और कश्मीरी युवाओं को पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों के शिविरों में भेजने की साजिश रचने में पल्ला का साथ दिया। पल्ला तब किसी दूसरे मामले में जेल में बंद था लेकिन उसे आतंकी संगठनों का रिक्रूटिंग एजेंट बताया जा रहा है। 

गौरतलब है कि पहली नवंबर 2017 को पुलिस ने दानिश गुलाम लोन और सोहेल अहमद भट्ट नाम के दो युवकों को लाइन ऑफ कंट्रोल (नियंत्रण रेखा) के पास से चार ओवर ग्राउंड वर्कर्स के साथ गिरफ्तार किया था। ये लोग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चल रहे आतंकी शिविरों में जाने के लिए एलओसी पार करने की कोशिश कर रहे थे। उन्हीं से हुई लंबी पूछताछ के बाद पुलिस ने इशाक पल्ला और फिरोज अहमद लोन को गिरफ्तार किया है। 

दानिश और सोहेल ने पूछताछ में बताया था कि इशाक पल्ला ने ही उन्हें पीओके जाने के लिए प्रेरित किया था। 

सूत्रों ने बताया कि जब डिप्टी जेलर फिरोज अहमद लोन ने इशाक पल्ला से युवाओं की मुलाकात करवाई थी, तब वह श्रीनगर केंद्रीय कारागार में तैनात थे। इसके बाद इशाक पल्ला ब्लैकबैरी मैसेंजर के जरिये लगातार इन युवाओं के संपर्क में रहा। वह सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आने से बचने के लिए ब्लैकबैरी का इस्तेमाल कर रहा था। एनआईए अब यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि लश्कर-ए-तय्यबा के कमांडर नावेद जट के जेल से भागने में कहीं फिरोज अहमद लोन की कोई भूमिका तो नहीं।

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