नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सहयोगी दलों की इच्छाओं को दरकिनार कर राज्य में एनपीआर को लागू करने के लिए अहम फैसला किया है। पहली बार ठाकरे ने सहयोगी दलों के दबाव के बावजूद एनपीआर को लेकर कांग्रेस और एनसीपी की एक नहीं सुनी है। जबकि कांग्रेस और एनसीपी इसे  राज्य में लागू नहीं करने के लिए ठाकरे पर दबाव बना रहे हैं।

ठाकरे ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की प्रक्रिया को राज्य सरकार नहीं रोकेगी। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वह एनपीआर के सभी कालम की जांच खुद करेंगे। केन्द्र सरकार के एनपीआर को लागू करने प्रक्रिया में महाराष्ट्र में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा एनपीआर सीएए और एनआरसी से अलग हैं। लिहाजा इसको लेकर किसी भी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। वहीं राज्य सरकार सीएए और एनआरसी को राज्य में लागू नहीं करने जा रहा है।

असल में राज्य में कांग्रेस और एनसीपी राज्य पर दबाव बना रहे हैं कि एनआरपी  को भी राज्य में लागू नहीं किया जाए। लेकिन ठाकरे ने दोनों दलों के दलीलों को दरकिनार कर दिया है। वहीं शिवसेना प्रमुख ने कहा कि एनपीआर जनगणना है और मुझे नहीं लगता कि इससे कोई प्रभावित होगा क्योंकि यह हर दस साल में होती है। माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद कांग्रेस और एनसीपी उन्हें इस मामले में घेर सकती है। असल में राज्य की मुख्य विपक्षी दल भाजपा आरोप लगा रही है कि ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में काम कर रहे हैं।

लिहाजा ठाकरे का ये फैसला एक संदेश के  तौर पर देखा जा रहा है कि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में नहीं है। वहीं एल्‍गार परिषद मामले को लेकर पहले से ही शरद पवार और ठाकरे के बीच मतभेद चल रहे हैं। पवार इसकी जांच एनआईए को सौंपे जाने को लेकर नाराज हैं और वह राज्य सरकार की आलोचना भी कर चुके हैं। वहीं माना जा रहा है कि एनआरपी को लेकर लेकर राज्य सरकार और सहयोगी दलों के बीच मतभेद उभर सकते हैं और पवार और कांग्रेस के नेता इसके लिए ठाकरे की आलोचना कर सकते हैं।