भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या अपने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में लड़ रहा है कानूनी लड़ाई। पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार होने के बाद से है जमानत पर
भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई कर रही ब्रिटेन की अदालत ने भारतीय अधिकारियों मुबंई की ऑर्थर रोड जेल की उस कोठरी का वीडियो देने को कहा है, जहां माल्या को रखे जाने की योजना है। ये वीडियो तीन सप्ताह के अंदर अदालत में जमा कराना होगा। वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स ने इस हाई प्रोफाइल मामले में समापन दलीलों के लिए 12 सितंबर की तारीख निर्धारित की है। तब तक के लिए माल्या को जमानत मिल गई है।
भारत में धोखाधड़ी के आरोपों में वांछित माल्या मंगलवार को लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के सामने पेश हुए। वहां बचाव और अभियोजन, दोनों पक्षों ने मुंबई की ऑर्थर रोड जेल की बैरक संख्या 12 पर अपना स्पष्टीकरण रखा। दलीलों को सुनने के बाद जज एम्मा आर्बथनॉट ने भारतीय अधिकारियों से तीन सप्ताह के भीतर ऑर्थर रोड जेल की बैरक संख्या 12 का वीडियो सौंपने को कहा है। जज ने कहा कि वह जेल का वीडियो देखना चाहती हैं। बैरक में सूरज की रोशनी को देखना चाहती हैं, चाहे वे खिड़कियों से ही क्यों न आ रही हो।
दरअसल, माल्या के बचाव पक्ष ने तर्क दिया था कि भारत में जेल में प्राकृतिक प्रकाश और ताजा हवा की कोई व्यवस्था नहीं होती। माल्या की वकील क्लेयर मोंटगोमेरी का आरोप था कि भारतीय अधिकारियों ने बैरक में उजाला दिखाने के लिए तकनीक का उपयोग कर तस्वीरें खींची और उन्हें पेश किया। वहीं भारतीय पक्ष ने कहा था कि जेल में मानवाधिकारों का पालन किया जाता है। भारत का पक्ष रख रहे वकील मार्क समर्स ने कहा कि विजय माल्या को जिस बैरक में रखा जाएगा, वहां शुद्ध हवा और प्रकाश की व्यवस्था है। माल्या को अच्छी शौचालय सुविधा और साफ-सुथरा बिस्तर दिया जाएगा।
इससे पहले, माल्या ने कहा कि उसके खिलाफ मनी लांड्रिंग और पैसा चुराने के आरोपू 'पूरी तरह गलत' हैं। किंगफिशर कंपनी के मालिक माल्या ने कोर्ट के बाहर कहा, 'अंत में अदालत इसका फैसला करेगी।' माल्या 2016 से ब्रिटेन में हैं। पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार होने के बाद से जमानत पर चल रहा है। लंदन की अदालत में उसके प्रत्यर्पण का केस चल रहा है। माल्या ने धोखाधड़ी और तकरीबन 9,000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के बाद देश छोड़ दिया।
27 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई की दलीलों को उस समय बल मिला, जब जज आर्बथनॉट ने इस बात की पुष्टि की थी कि भारतीय अधिकारियों ने जो सबूत सौंपे हैं, वो मामले में स्वीकार्य होंगे। सीबीआई ने ब्रिटिश अदालत कई दस्तावेज जमा कराए हैं, जिनमें आईडीबीआई बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक बी के बत्रा के खिलाफ साजिश का मामला भी शामिल है। बत्रा का अदालत में मामले में नए 'खलनायक' के तौर पर उल्लेख किया गया है। भारतीय अधिकारियों ने साजिश का जो मामला पेश किया है, उसके अनुसार बत्रा ने कथित तौर पर माल्या से साठगांठ कर अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलायंस को बिना उचित सावधानी बरते कर्ज की मंजूरी दिलाई।
प्रत्यर्पण की दूसरी प्रक्रियाओं के तहत अगर जज आर्बथनॉट भारतीय अधिकारियों के हक में फैसला देती हैं तो ब्रिटेन के गृह विभाग के पास माल्य के प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर करने के लिए दो महीने का समय होगा। हालांकि दोनों पक्षों के पास मजिस्ट्रेट्स कोर्ट के फैसले को ऊंची अदालत में चुनौती देने का भी अधिकार है। (पीटीआई इनपुट्स के साथ)
Last Updated Aug 1, 2018, 10:47 AM IST