बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार लालू प्रसाद यादव के परिवार में बिखराव तो जगजाहिर है। लेकिन राजद की अगुवाई में राज्य में बने यूपीए महागठबंधन में भी बिखराव देखने को मिल रहा है। घटक दल सहयोगी नेताओं की रैलियों से दूरी बनाए हुए हैं। जिसके कारण मतदाताओं का इन रैलियों में उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है।

असल में अभी तक बिहार में यूपीए के घटक दल सहयोगी दलों की रैलियों में नहीं दिखाई दे रहे हैं। जबकि रैलियों में इस बात के दावे किए जा रहे हैं कि यूपीए के सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के बेटे और फिलहाल पार्टी की चुनावी कमान को संभाल रहे, तेजस्वी यादव कांग्रेस और अन्य सहयोगियों की रैली से दूरी बनाए हुए हैं।

एक दिन पहले ही उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा था कि लालू चुनाव में एक दर्जन से ज्यादा रैलियां किया करते थे। लेकिन तेजस्वी तो दो रैलियों से ही थक जा रहे हैं। राज्य में राजद के लिए अहम मानी जा रही सारण सीट पर यूपीए गठबंधन में एकजुटता नहीं दिखाई दे रही है। सारण मंडल की चार लोकसभा सीटों पर राजद ही चुनाव लड़ रहा है।

लेकिन यहां पर राजद के अलावा सहयोगी दलों का कोई भी नेता प्रचार में नहीं दिखाई दे रहा है जबकि महागठबंधन में पांच दल शामिल हैं। सारण मंडल चारों सीटें सारण, महाराजगंज, सीवान और गोपालगंज सीट पर तेजस्वी यादव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन उनकी प्रचार रैलियों में कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल का कोई भी राज्यस्तरीय नेता भी नहीं दिखाई दे रहा है।

रालोसपा नेता उपेन्द्र कुशवाहा भी चंद्रिका राय के पक्ष में एक दिन भी प्रचार करने नहीं गये। वहीं मुकेश सहनी और हम (से) नेता जीतन राम मांझी ने भी रैलियों से दूरी बनाकर रखी है। जबकि सारण में ही तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव अपने ससुर और राजद चंद्रिका राय का विरोध कर रहे हैं।