दो दिन पहले केन्द्र सरकार के कंप्यूटर के डेटा की जांच करने यानी इंटरसेप्शन, मॉनिटरिंग और डिक्रिप्शन के लिए दिए गए आदेश के बाद पूरे देशभर में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने जमकर कर हंगामा किया। विपक्षी दलों ने संसद में इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया और उसके बाद संसद की कार्यवाही को बंद कर दिया गया। कांग्रेस का कहना था कि सरकार आम आदमी की निजता को खत्म करने की साजिश कर रही है। अब सूचना के अधिकार से एक बात सामने आयी है कि पूर्व की यूपीए सरकार ने विभिन्न व्यक्तियों के 9 हजार फोन हर महीने टेप कराए और ईमेल की भी जांच सरकार ने करायी।

असल में केन्द्र सरकार किसी भी कंप्यूटर के डेटा को खंगाल एक आदेश पर पूरे देश गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके लिए केन्द्र सरकार ने 10 एजेंसियों को यह अधिकार दिया था कि वह देशहित में किसी के भी कंप्यूटर की जांच कर सकती है। ये एजेंसियां इंटरसेप्शन, मॉनिटरिंग और डिक्रिप्शन के मकसद से किसी भी कंप्यूटर के डेटा को खंगाल सकती हैं। कांग्रेस समेत विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए उस पर जासूसी का आरोप लगा रहा है।

जबकि सरकार का कहना है कि पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार ने ही एजेंसियों को संचार उपकरणों की निगरानी के लिए अधिकृत किया था और ताजा आदेश में नया कुछ नहीं है। अब आरटीआई से खुलासा हुआ है कि हर महीने सरकार के आदेश से 9 हजार तक फोन टेप होते थेइसके मुताबिक कांग्रेस की अगुआई वाली मनमोहन सिंह सरकार के दौर में हजारों फोन कॉल और ईमेल इंटरसेप्ट किए गए थे। 6 अगस्त 2013 को प्रसेनजीत मंडल की आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया था कि केंद्र सरकार की तरफ से हर महीने औसतन 9 हजार फोन कॉल्स इंटरसेप्शन के आदेश जारी किए जाते हैं। इसके साथ ही हर महीने 500 तक ईमेल्स की भी जांच की जाती थी।

असल में टेलिग्राफ ऐक्ट के तहत तमाम एजेंसियों को फोन कॉल्स और ईमेल इंटरसेप्शन के अधिकार मिले हुए हैं। आरटीआई के जवाब में इंटरसेप्शन के लिए जिन एजेंसियों का नाम लिखा है, उनमें आईबी, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी, सीबीडीटी, डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, रिसर्च ऐंड ऐनालिसिस विंग, डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस कमिश्नर का नाम शामिल है।