नई दिल्ली। कोरोना संकटकाल में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार देखा जा रहा है। राज्य में जुलाई से शुरू हुआ अर्थव्यवस्था में सुधार का सिलसिला अक्टूबर में भी जारी रहा। राज्य सरकार को अक्टूबर के महीने में कर व करेत्तर राजस्व के मदों में 10672.79 करोड़ रुपये मिले हैं। जो पिछले साल की तुलना में 1828 करोड़ रुपए अधिक है। फिलहाल पिछले चार महीने के दौरान यूपी की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और इसमें तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।

राज्य के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि अक्टूबर के लिए राज्य सरकार ने कर व करेत्तर राजस्व के मद में 12282.86 करोड़ रुपये का लक्ष्य तय था। लेकिन इसके सापेक्षा लक्ष्य का कुल 86.9 फीसदी राजस्व हासिल किया गया है। हालांकि ये पिछले साल की तुलना में ज्यादा है। इस साल अक्टूबर के महीने में पिछले साल की तुलना में राज्य सरकार को 20.6 फीसदी अधिक राजस्व मिला है। उन्होंने बताया कि पिछले साल 8844.35 करोड़ रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई थी। इससे साफ संकेत है कि राज्य सरकार कोरोना संकट के बावजूद अपने राजस्व के लक्ष्य को पाने में सफल रही। उन्होंने कहा कि अक्टूबर में जीएसटी व वैट के मद में राज्य सरकार को 5598.27 करोड़ रुपये मिले है और ये लक्ष्य का 80.5 फीसदी है। जबकि जीएसटी के मद में 3795.44 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के मद में राज्य सरकार को 1777.95 करोड़ और आईजीएसटी के मद में 2017.49 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है।

उन्होंने कहा कि इससे राज्य सराकर के प्रयासों की सबूत मिलता है और जीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी मद में राजस्व में इजाफे से इस बात के संकेत मिलते हैं कि राज्य में अब कारोबारी गतिविधियां फिर से पटरी पर लौट रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमण से जंग के बीच राज्य की अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है और लोग फर्राटे से लोग वाहनों का प्रयोग कर रहे हैं। पेट्रोल, डीजल की अच्छी बिक्री हुई है। राज्य में पेट्रोल और डीजल से राज्य सरकार को अच्छा खासा राजस्व मिलाता है और इस बात के संकेत हैं कि राज्य में पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ी है। वहीं राज्य सरकार को आबकारी के मद में 2403.20 करोड़ रुपये राजस्व मिले हैं और ये लक्ष्य की तुलना में 106.8 फीसदी है।