गाजीपुर। मुख्तार अंसारी का शव शुक्रवार रात करीब 1.15 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच गाजीपुर पहुंच गया। बांदा रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज से शुक्रवार शाम को करीब 4.30 बजे बेटा उमर और बहू निकहत अंसारी उसके शव को एंबुलेंस से लेकर 26 पुलिस वाहनों के कड़े सुरक्षा घेरे में गाजीपुर के लिए निकला था। उसके शव को फिलहाल मुहम्मदाबाद के फाटक में स्थित उसके आवास पर रखा गया है। मुख्तार के समर्थकों की वहां पर लगी भीड़ को देखते हुए प्रशासन आधी रात उसके शव को घर के पीछे के दरवाजे से लेकर अंदर दाखिल हुआ। तमाम दुनिया घुमने वाले मुख्तार का आखिरी ठिकाना उसके अम्मी-अब्बू के पैरों के नीचे होगा। 

अपने लंबू के आखिरी दीदार को पूरी रात घर के बाहर खड़े रहे हजारों लोग
19 साल 6 महीने सलाखों के पीछे गुजारने वाले मुख्तार ने वर्ष 2005 में जब खुद को सरेंडर किया था तो कभी नहीं सोचा था कि उसकी घर वापसी ताबूत में होगी। दुश्मनों की लंबी फेहरिस्त के साथ समर्थकों का कुनबा भी मुख्तार का कम नहीं है। इसकी बानगी उसकी मौत के बाद से अब तक उसके घर के सामने लगी हजारों की भीड़ है। जिसमें लोग आ रहे हैं-जा रहे हैं लेकिन संख्या घट नहीं रही है। अपने लंबू को आखिरी बार देखने के लिए लोग रात भर खड़े रहे। मुख्तार का शव वाहन बांदा से फतेहपुर, कौशांबी, प्रयागराज और भदोही होते हुए रात करीब 10.32 बजे वाराणसी पहुंचा, फिर गाजीपुर रवाना हो गया। 

 

10 बजे नमाज-ए-जानजा, मां-बाप की कब्र के समीप किया जाएगा दफन
घरवालों के मुताबिक 30 मार्च शनिवार को सुबह 10 बजे के करीब जनाजे की नमाज पढ़ी जाएगी। फिर उसके पैतृक कब्रिस्तान कालीबाग में मुख्तार को सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। उसकी कब्र उसके पिता सुबानउल्ला और मां की कब्र से पैर की तरफ 5 फीट की दूरी पर खोदी गई है। जिसे उसके विधायक भतीजे  शोहेब अंसारी की देख रेख में 3 हिंदु मजदूरों नगीना, गिरधारी और संजय ने तैयार किया।  करीब 7.6 फीट लंबी और 5 फीट गहरी एवं चौड़ी कब्र को तैयार करने में करीब 4.30 घंटे का समय लगा।

बांदा जेल में दिल का दौरा पड़ने से हुई थी मौत
बतातें चलें कि मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को दिल का दौरा पड़ा था। उसे बांदा मेडिकल कालेज ले जाया गया। जहां उसकी मौत हो गई। 29 मार्च को 5 डाक्टरों की टीम ने उसके शव का पोस्टर्माटम किया। उसके बाद कड़ी सुरक्षा के बीच गाजीपुर भेजा गया।  

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