जौनपुर। करीब तीन दर्जन आपराधिक मुकदमों में नाम जज बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह को एमपी एमएलए कोर्ट ने 6 मार्च को पहली बार सजा सुनाई। जिससे उनके राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण लगने का खतरा पैदा हो गया है, लेकिन इस बीच बाहुबली की जीवन गाथा लोगों के जुबान पर दोबारा लौट आई है। 90 के दशक के अंतिम वर्षों में कानून की हिट लिस्ट में शामिल धनंजय सिंह को पुलिस तलाश थी और वह भागा भागा फिरता था। वर्ष 1998 में उसे पर 50 हजार का इनाम घोषित था। लखनऊ समेत पूर्वांचल में जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह कहा जाने वाला धनंजय सिंह आगे चलकर राजनीति के क्षेत्र का चमकता सितारा बनेगा, किसी ने सपने में भी नहीं सोच रहा होगा।

 

नेता की छत्रछाया में आकर जरायाम की दुनिया का हो गया बेताज बादशाह
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के बनसफा गांव के एक सामान्य परिवार में धनंजय सिंह का जन्म 16 जुलाई 1975 को हुआ था। जिले के टीडी कॉलेज से छात्र राजनीति में कदम रखने वाले धनंजय सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय में मंडल कमीशन रिपोर्ट का विरोध करके अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। इसी दौरान एक नेता के संपर्क में आए धनंजय को मानो पंख लग गए हो। नेता की छत्रछाया में उसने हत्या रंगदारी, सरकारी ठेकों से वसूली और धमकी जैसी घटनाओं से सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दी। जितने अपराधों में उसके नाम आए थानों के रजिस्टर में उतनी ही एफआईआर दर्ज होते चले गए।

 

वर्ष 1998 में पुलिस मुठभेड़ में धनंजय समेत 4 बदमाशों का कर दिया था एनकाउंटर का किया था दावा
आतंक का पर्याय बन चुके धनंजय सिंह का पुलिस ने तीन अन्य बदमाशों के साथ वर्ष 1998 में मिर्जापुर भदोही रोड पर एनकाउंटर भी कर दिया था। पुलिस ने दावा किया था कि धनंजय सिंह अपने साथियों के साथ पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आया था। इस दौरान मुंह भेद हुई और वह अपने तीन साथियों के साथ मारा गया। करीब 1 साल बाद फरवरी 1999 में पुलिस वालों के पैरों तले से तब जमीन खिसक गई, जब धनंजय सिंह अचानक सामने आ गए। उन्होंने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। 

 

फेंक एनकाउंटर में 34 पुलिस वालो पर हुई थी कार्रवाई
इसके बाद उनका एनकाउंटर करने का दावा करने वाली पुलिस टीम पर कानूनी शिकंजा कसा। 34 पुलिसकर्मियों पर फर्जी मुठभेड़ में शामिल होने की एफआईआर दर्ज हुई। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक धनंजय पर जौनपुर से लेकर लखनऊ तक और लखनऊ से लेकर दिल्ली तक मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है। करीब 45 से अधिक मुकदमे उसे पर दर्ज हैं। जिनमें सबसे ज्यादा लखनऊ के अलग-अलग थानों में है। लखनऊ के चर्चित अजीत सिंह हत्याकांड में भी धनंजय सिंह का नाम आया था। इस प्रकरण में धनंजय सिंह पर 50 हजार का इनाम भी घोषित किया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि धनंजय सिंह ने मुठभेड़ में घायल शूटर राजेश तोमर का सुल्तानपुर और लखनऊ में इलाज करने में मदद की है।

 

दो दशक पहले रखा राजनीति में सफर, सांसद तक दी दस्तक
धनंजय सिंह की राजनीतिक ललक दो दशक पहले से ही उफान लेने लगी थी। महज 27 साल की उम्र में वर्ष 2002 में उन्होंने विधायकी का चुनाव निर्दलीय लड़ा था और जीत भी गए थे। वर्ष 2007 में जनता दल यूनाइटेड की टिकट पर चुनाव लड़े और जीते उसके बाद धनंजय सिंह को बसपा का साथ मिला। वर्ष 2009 में वह लोकसभा चुनाव जीत कर संसद में पहुंच गए। धनंजय सिंह ने अपने समर्थकों की एक पूरी ब्रिगेड तैयार की है।

 

निजी जीवन में रही बड़ी उथल पुथल, पहली पत्नी की शादी के महज 9 महीने बाद ही हो गई थी मौत
धनंजय सिंह की जिंदगी में अपराध और आपराधिक गतिविधि के साथ राजनीतिक सरगर्मी का जितना बोलबाला है, उतना निजी जीवन भी उथल-पुथल भर रहा है। अपने 49 वर्षीय जीवन में इस शख्सियत ने तीन तीन विवाह किए। पहली पत्नी की शादी के महज 8 महीने बाद ही संदिग्ध हालत में मौत हो गई तो दूसरी पत्नी से तलाक हो गया। दो वैवाहिक जीवन सफल होने के बाद तीसरी शादी धनंजय सिंह ने तेलंगाना की श्रीकला रेड्डी के साथ की। उसने तीन शादियां की पहली शादी धनंजय सिंह की 2006 में एक बैंक मैनेजर की बेटी मीनू सिंह के साथ हुई। थी शादी के 9 महीने बाद ही मीनू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। घरवालों ने आत्महत्या की बात बताई लेकिन कुछ नहीं हुआ।

 

नौकरानी की मौत में नाम आने के बाद हो गया दूसरी पत्नी से तलाक
वर्ष 2009 में धनंजय सिंह ने डॉ जागृति सिंह से विवाह रचाया। वो अपनी दूसरी पत्नी जागृति को विधायक बनवाना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने 2012 में जौनपुर की रारी विधानसभा सीट से जागृति सिंह को चुनाव लड़वाया। इसी दौरान एक नौकरानी की मौत हो गई। जिसकी पिटाई का आरोप डॉ जागृति सिंह पर लगा। धनंजय सिंह भी जेल गए। इसी के बाद धनंजय और जागृति के रिश्ते में दरार आ गई और दोनों अलग हो गए। 

 

6 साल पहले तेलंगाना की श्रीकला रेड्डी से पेरिस में की थी शादी
वर्ष 2017 में धनंजय सिंह ने तेलंगाना के कारोबारी परिवार की श्रीकला रेड्डी के साथ शादी की। श्रीकला रेड्डी ने 5 साल पहले बीजेपी ज्वाइन की थी। उनके पिता राजेंद्र रेड्डी तेलंगाना से विधायक थे। मां ललिता रेड्डी अपने गांव की सरपंच रह चुकी है। श्रीकाल रेड्डी वर्तमान में जौनपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। दोनों ने पेरिस में आलीशान शादी की थी।

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