रामपुर: जौहर यूनिवर्सिटी के नाम पर किसानों की जमीन हड़पने के मामले में शुक्रवार की शाम पुलिस आजम खान की बड़ी बहन निकहत से पूछताछ के लिए पहुंची और उन्हें अपने साथ ले गई। पुलिस ने आवश्यक जानकारी हासिल करने के बाद उन्हें शाम को छह बजे ही छोड़ दिया था। 

इस मामले में रामपुर के पुलिस अधीक्षक अजय पाल शर्मा ने बताया कि आजम की बहन निकहत अफलाक जौहर ट्रस्ट की कोषाध्यक्ष हैं और हमें आजम खान द्वारा 'जमीन हथियाने' को लेकर किसानों द्वारा दर्ज शिकायत के बारे में पूछताछ करने की जरूरत है। "हम सभी मानवाधिकारों का ख्याल रख रहे है और उनसे सिर्फ जानकारी चाहते हैं।"

दरअसल आजम खान ने जौहर विश्वविद्यालय को अपनी पारिवारिक संस्था बनाकर रख दिया है। उन्होंने इसके ट्रस्ट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए अपने सभी रिश्तेदारों को इसमें अलग अलग पदों पर रखा है। लेकिन आजम की यही चालाकी उनके रिश्तेदारों को भारी पड़ती दिख रही है। अगर आजम ने अपनी बुजुर्ग बहन का नाम विवादित जौहर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट में नहीं डाला होता तो शायद पुलिस को उनसे पूछताछ की जरुरत नहीं पड़ती। 

लेकिन बुजुर्ग महिला से मात्र कुछ घंटो की पूछताछ पर हंगामा करने की कोशिश की गई। आजम की छोटी बहन नसरीन ने बयान दिया कि 'मेरी बड़ी बहन निकहत अपने घर में खाना खा रही थीं। तभी दो महिला पुलिसकर्मी आईं। उन्होंने मेरी बहन को बुर्का भी नहीं पहनने दिया और अपने साथ ले गईं।' 

हालांकि पुलिस अधीक्षक अजयपाल शर्मा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि न तो उनको हिरासत में लिया गया है और न ही गिरफ्तार किया गया है। बस उनसे पूछताछ की जा रही है। 

लेकिन आजम खान के घर वाले राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। आजम खान की पत्नी और राज्यसभा सांसद तंजीम फातिमा के मुताबिक '70 वर्ष से अधिक उम्र की एक बूढ़ी और बीमार महिला को जबरदस्ती उनके घर से धक्के देते हुए पुलिस ले गई। क्या यह लोकतांत्रिक तरीका है? यही पुलिस की कार्यप्रणाली है कि अकेली औरत को घर से घसीटकर इस तरह से ले जाया जाए। अगर पुलिस को कुछ पूछना ही है तो सीधे कह देती।' 

लेकिन आजम खान के रिश्तेदार यह नहीं बता रहे हैं कि एक बूढ़ी और बुजुर्ग महिला का नाम इस बड़े विवाद में घसीटने की आखिर शुरुआत किसने की थी।