उत्तराखंड में यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में दिवाली की रात 12 नवंबर को अचानक भूस्खलन हो गया था जिसमें काम कर रहे 41 मजदूर टनल के अंदर ही फंस गए थे। टनल की खुदाई के दौरान ये हादसा हुआ था। ऐसे में एक तरफ पहाड़ तो दूसरी और बाहर निकलने का रास्ता पूरी तरह से ब्लॉक हो गया। ऐसे में बड़े-बड़े पत्थरों में सुराग करने के लिए बनी ऑगर मशीन दिल्ली से मंगवाई गई। ऑगर मशीन को फ्लाइट से मंगवाया गया जिसके बाद रेस्क्यू का काम शुरू किया गया जिसके बाद सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। मंगलवार को मशीन वापस दिल्ली भेज दी गई।

क्या है ऑगर मशीन
ऑगर मशीन एक प्रकार की बड़ी ड्रिलिंग मशीन होती है। इसे बरमा मशीन भी कहा जाता है। इस भारी भरकम मशीन की सहायता से जमीन के अंदर तक और बड़े पत्थरों पर भी ड्रिलिंग की जा सकती है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में कई सालों से ऑगर मशीन बनाई जा रही है। कई ऑगर मशीन तो विभिन्न प्रदेशों में सप्लाई भी की गई है। ऑगर मशीन में जीपीएस और इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग सिस्टम भी लगा होता है, ताकि ऑपरेटर सटीक जगह पर छेद कर सके। ऑगर मशीन में ड्रिल करने के लिए आगे की तरफ कटिंग भी लगाया जाता है जो टंगस्टन कार्बाइड का बना होता है जिससे छेद करना आसान हो जाता है।

ड्रिलिंग में अटक गई थी ये भारी भरकम मशीन
सुरंग का मुंह बंद किए चट्टानों में छेद करने के लिए दिल्ली से ऑगर मशीन भी करीब 22 मीटर ड्रिलिंग के बाद मजबूत चट्टान में छेद करने पर अटक गई थी। इसके बाद रैट माइनर्स ने ही ड्रिलिंग की। इसके बाद पाइप को सुरंग में अंदर डालने के काम में ऑगर मशीन ने अहम भूमिका निभाई औऱ 41 मजदूर जिंदा बचकर निकले।