CAA (Citizenship Amendment Act): सीएए यानी नागरिकता संसोधन कानून सोमवार को देश भर में लागू हो गया। लोकसभा चुनाव के ऐन पहले मोदी सरकार ने सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। अब तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता ले सकेंगे। इसके लिए बाकायदा एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। जिसके जरिए लोग आवेदन कर सकेंगे। इस कानून से पड़ोसी देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों के लिए भारत की नागरिकता हासिल करना आसान होगा।

ये हैं CAA से जुड़े प्रमुख विवाद? (Top controversies related to CAA)

नागरिकता संशोधन अधिनियम के मुताबिक, भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी, जो धर्म के आधार पर परेशान किए जा रहे हों। उनमें हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी शामिल हैं। कानून में मुसलमानों को नागरिकता देने का जिक्र नहीं है। इसी वजह से कंट्रोवर्सी हो रही है। सरकार पर धर्म के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाया जा रहा है। 

पहले क्यों नहीं लागू हो सका था सीएए कानून?

वैसे यह कानून पहले ही सदन से पास हो गया था। पर भारी बवाल के चलते अब तक लागू नहीं हो सका था। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी कानून के जरिए मुसलमानों को बेघर करने के इरादे का आरोप लगा चुके हैं। उधर, सरकार कह रही है कि यह कानून सिर्फ पड़ोसी देशों में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के मकसद से लाया गया है। 

सीएए कानून के विरोध की वजह?

कहा जा रहा है कि समस्या तब खड़ी होती है, जब सीएए को एनआरसी से जोड़ का देखा जाने लगता है। समझा जा रहा है कि यदि एनआरसी के दौरान मुसलमान वर्ग का व्यक्ति अपनी नागरिकता से जुड़े दस्तावेज दिखा पाने में विफल होता है तो उसे 'Doubtful citizens' की लिस्ट में शामिल किया जाएगा। उन्हें नागरिकता साबित करने का मौका भी दिया जाएगा और यदि उसमें वह असफल रहते हैं तो फिर उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेजा जा सकता है। वैसे देश के गृहमंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि सीएए से किसी की नागरिकता पर असर नहीं पड़ेगा। इसे एनआरसी से जोड़कर मत देखा जाए।

सीएए कानून को लेकर क्या है डर?

एक वर्ग की आशंका है कि एनआरसी के तहत नागरिकता साबित न होने पर उन्हें अवैध प्रवासी घोषित कर दिया जाएगा। फिर उन्हें सीएए के जरिए भी नागरिकता नहीं मिल पाएगी, क्योंकि इस कानून से सिर्फ अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता ​देने का प्रावधान है। यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि यदि सरकार पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना चाहती है तो तिब्बत, श्रीलंका, म्यांमार के माइनॉरिटीज को क्यों नहीं शामिल किया गया। हजारा और अहमदिया भी इससे दूर रखे गए।

सीएए से किसे फायदा, किसका नुकसान? (Advantages & Disadvantages of CAA)

जानकारों का कहना है कि अधिनियम के मुताबिक, इस कानून का फायदा पड़ोसी देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों को मिलेगा। जिन्हें धर्म की बेसिस पर प्रताड़ित किया जाता है। वह आसानी से भारत की नागरिकता हासिल कर सकेंगे। देखा जाए तो सीधे तौर पर इसका कोई नुकसान नजर नहीं आ रहा है। पर लोगों को नागरिकता मिलने से दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत की आबादी पर असर पड़ सकता है। मौजूदा संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा। 

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